Supreme Court: राजस्थान सरकार ने दो बच्चों से अधिक होने पर सरकारी नौकरी नहीं देने का फैसला किया था, लेकिन इस नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने शीर्ष अदालत के 2003 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें राज्य में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए पात्रता शर्त के रूप में दो बच्चों के मानदंड की पुष्टि की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से इनकार करना, इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं है, क्योंकि इसके पीछे का मकसद परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है, ऐसे में यह गैर-भेदभावपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव लड़ने के लिए भी इसी तरह के नियम को अपनी मंजूरी दी थी। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी देते हुए कहा कि ये सरकार कर नीति बनाने के कार्यक्षेत्र में आता है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर यह नियम पॉलिसी के दायरे में आता है तो इसमें किसी तरह की दखल देने की जरूरत नहीं है।
क्या था पूरा मामला
Supreme Court: बता दें कि रक्षा सेवा से 31 जनवरी, 2017 को रक्षा सेवाओं से रिटायर होने के करीब सवा साल बाद 25 मई, 2018 को राजस्थान पुलिस में सिपाही पद के लिए आवेदन किया था। लेकिन इस आवेदन को बाद में खारिज कर दिया गया था। क्योंकि 01 जून 2002 के बाद उसके दो से अधिक बच्चे जिस वजह से वह सरकारी नौकरी के अयोग्य है। दरअसल, कोर्ट के नियम के अनुसार 01 जून 2002 के बाद जिस उम्मीदवार के दो या दो से अधिक बच्चे है वह सरकारी सेवा नियुक्ति के पात्र नहीं होगा। बताया गया कि इस प्रावधान का मकसद परिवार नियोजन और छोटे परिवार की भावना को बढ़ावा देना है और यह किसी भी तरह से भेदभाव पूर्ण नहीं है।
दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से इनकार करना भेदभावपूर्ण नहीं: सुप्रीम कोर्ट#SupremeCourtofIndia | @sanjoomewati
https://t.co/pCb85YXiW5— AajTak (@aajtak) February 28, 2024