चेन्नई, 13 सितंबर (भाषा) भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट में तमिलनाडु में उच्च शिक्षा में गंभीर खामियां पाई गई हैं। इनमें विश्वविद्यालयों में कई विभागों द्वारा खराब या शून्य अनुसंधान कार्य जैसी खामियां शामिल हैं।
रिपोर्ट में मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान और विकास के लिए तय धनराशि का इस्तेमाल वेतन व नियमित गैर-योजना व्यय के लिये करने का बात सामने आई है।
सोमवार को विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिथि व्याख्याताओं को दिया जाने वाला वेतन यूजीसी द्वारा अनुशंसित 50,000 रुपये के वेतन से काफी कम था।
रिपोर्ट के अनुसार “रिक्त पदों को अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति करके भरा गया। मार्च 2020 तक, 4,084 अतिथि व्याख्याताओं को सरकारी कॉलेजों में 15,000 रुपये प्रति माह के वेतन पर रखा गया।”
ऑडिट में कहा गया है कि तमिलनाडु शिक्षक भर्ती बोर्ड (टीआरबी) द्वारा शिक्षकों की भर्ती में देरी के कारण रिक्तियों में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिथि व्याख्याताओं को आवश्यकता को पूरा करने के लिए अनुबंध के आधार पर काम पर रखा गया और पारदर्शी योग्यता-आधारित भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से भर्ती नहीं की गई।
भाषा जोहेब रंजन
रंजन
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