यूनेस्कों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में तंगेल साड़ी बुनाई और बोरींडों वाद्ययंत्र को मिली जगह

यूनेस्कों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में तंगेल साड़ी बुनाई और बोरींडों वाद्ययंत्र को मिली जगह

यूनेस्कों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में तंगेल साड़ी बुनाई और बोरींडों वाद्ययंत्र को मिली जगह
Modified Date: December 9, 2025 / 07:41 pm IST
Published Date: December 9, 2025 7:41 pm IST

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में बांग्लादेश के तंगेल की पारंपरिक साड़ी बुनाई कला और अफगानिस्तान की बहजाद की लघु चित्रकला शैली को शामिल करने की मंगलवार को मंजूरी दे दी।

अधिकारियों ने बताया कि कई अरब देशों द्वारा नामित ‘बिष्ट’ (पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला अबा या गाउन) बनाने के कौशल और तरीकों को भी इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल करने की मंजूरी दी गई। विभिन्न देशों द्वारा दिये गए इन प्रस्तावों पर दिल्ली में आयोजित यूनेस्को की एक अहम बैठक में मंजूरी दी गई।

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति (आईसीएच) का 20वां सत्र 8 से 13 दिसंबर तक यहां लाल किले में आयोजित किया जा रहा है।

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इससे पहले दिन में समिति द्वारा पाकिस्तान के सिंध प्रांत का प्राचीन लोक संगीत वाद्ययंत्र बोरींडो और उसकी धुनें, पैराग्वे की प्राचीन चीनी मिट्टी की शिल्पकला और केन्या के दाईदा समुदाय के म्वाजिंडिका आध्यात्मिक नृत्य को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (आईसीएच) में मंगलवार को शामिल किया गया, जिन्हें तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है।

इसके बाद समिति ने अन्य नामांकनों पर विचार किया ताकि उन्हें आईसीएच में जगह दी जा सके।

विश्व निकाय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट कर सूची में शामिल नयी प्रविष्टियों की जानकारी दी।

यूनेस्को ने पोस्ट में कहा कि कतर, बहरीन,इराक,जॉर्डन,कुवैत, ओमान,सऊदी अरब,सीरिया और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा नामांकित ‘बिष्ट’(पुरुषों) के आबा को बुनने की कला और परंपरा को अर्मूत सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने की बधाई!

वेनेजुएला की जीवंत उत्सव परंपरा ‘जोरोपो’, बोलिविया के ग्वाडालूप की वर्जिन का उत्सव ‘प्रोटनेस ऑफ सूक्रे’, अर्जेंटीना के कॉर्डोबा शहर में आयोजित संगीत नृत्य और गीत को भी इस प्रतिष्ठित सूची में जगह दी गई है।

अफगानिस्तान की ‘बहज़ाद की लघु चित्रकला शैली’ का नाम 15वीं शताब्दी के उस कलाकार के नाम पर रखा गया है, जिनकी तकनीकों, परिप्रेक्ष्य और रंगों के प्रयोग ने उन्हें अपने समय के सबसे प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक बना दिया था।

यूनेस्को के अनुसार, ‘‘ यह अभ्यास मूलभूत कहानियों, मिथकों, मूल्यों और नैतिकताओं के प्रसारण में योगदान देता है।’’

यूनेस्को ने बेल्जियम से नामांकित ब्रुसेल्स की रॉड मैरियोनेट परंपरा,बुल्गारिया के बैगपाइप बनाने और बजाने की कला को भी इस सूची में जगह दी है।

विश्व निकाय ने जिबूती, कोमोरोस, संयुक्त अरब अमीरात, इराक, जॉर्डन और सोमालिया की पारंपरिक जफा विवाह परंपरा को भी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत माना है।

यह पहली बार है कि भारत यूनेस्को के किसी सत्र की मेजबानी कर रहा है।

पेरिस स्थित विश्व निकाय के अनुसार, समिति इस सत्र के दौरान यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के लिए लगभग 80 देशों द्वारा प्राप्त ‘कुल 67 नामांकनों’ पर विचार करेगी।

यूनेस्को ने पोस्ट किया कि तत्काल संरक्षण की आवश्यकता वाली अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में अन्य नए नाम पनामा की आवास निर्माण शैली ‘क्विंचा हाउस और जुंटा डी एम्बारे/एम्बारा, पैराग्वे की पांरपरिक चीनी मिट्टी शिल्पकला नाइउपो कला, पुर्तगाल के एवेरो क्षेत्र की नौसैनिक बढ़ईगीरी कला मोलिसिरो नाव, तथा उज्बेकिस्तान की कोबीज शिल्पकला और वादन कला है।

यूनेस्को ने इसी के साथ अरब देशों की ‘बिष्ट’कला, बेलारूस में गोमेल क्षेत्र के वेतका जिले की ‘नेगलिबुका’ कपड़ा बुनाई परंपरा, अल्बानिया का लहुटा वाद्य यंत्र, उसके वादन और गायन को भी सूची में शामिल करने को हरी झंडी दे दी है।

भाषा धीरज नरेश

नरेश


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