हैदराबाद। तेलंगाना के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने राज्य विधानसभा को भंग किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह प्रस्ताव राज्य की केसीआर सरकार ने भेजा था। अब राज्य में समय से पहले चुनाव करवाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। ये चुनाव अगर तय वक्त पर होते तो लोकसभा चुनाव के साथ होते। राज्य सरकार ने केबिनेट की मीटिंग में विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पारित किया था। के चंद्रशेखर राव चुनाव तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
तेलंगाना विधानसभा भंग किए जाने की अटकलें पहले से लगाई जा रही थीं। इसके पीछे 3 मुख्य कारण माने जा रहे थे। लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव और राज्यसभा के उपसभापति चुनाव के दौरान टीडीपी और कांग्रेस एक साथ थे। इससे टीआरएस को ऐसा लग रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में ये दोनों दल गठबंधन कर सकते हैं।
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विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव के पीछे यह भी माना जा रहा है कि केसीआर यह नहीं चाहते कि राज्य विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ हो। वे इसकी बजाय मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनावों के साथ ही राज्य विधानसभा के चुनाव चाहेंगे। तीसरी वजह ये मानी जा रही है कि अगर राज्य विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ न होकर, अलग होते हैं तो टीआरएस असद्दुदीन ओवैसी की एआईएमआईएम के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष गठबंधन कर राज्य के 12 पर्सेंट अल्पसंख्यक मतदाताओं को लुभा सकती है।
गौरतलब है कि तेलंगाना विधानसभा में कुल 119 सीटें है, जिसमें से सत्ताधारी टीआरएस के पास 90 सीटें हैं। जबकि विपक्षी कांग्रेस के पास 13 सीटें और बीजेपी के पास 5 सीटें हैं।
वेब डेस्क, IBC24
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