थरूर ने नामांकन दाखिल किया; बदलाव चाहने वालों से वोट मांगा |

थरूर ने नामांकन दाखिल किया; बदलाव चाहने वालों से वोट मांगा

थरूर ने नामांकन दाखिल किया; बदलाव चाहने वालों से वोट मांगा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : September 30, 2022/8:24 pm IST

(फोटो के साथ)

(आसिम कमाल)

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद कहा कि उनके चुनावी प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे ‘यथास्थिति’ बनाए रखने के पैरोकार और ‘परंपरावादी उम्मीदवार’ हैं लेकिन जो लोग पार्टी में बदलाव चाहते हैं उन्हें उनको (थरूर)वोट देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं तो खड़गे जी को वोट दें। अगर आप 21वीं सदी के नजरिए से बदलाव और विकास चाहते हैं तो मैं उम्मीद करता हूं कि मैं वह बदलाव ला पाऊंगा।’’

थरूर ने कहा कि उनके पास पार्टी को मजबूत करने का नजरिया है, जो ‘‘बदलाव’’ लाएगा। थरूर (66) ने कहा कि वह खुद को ‘अंडरडॉग’ का तमगा दिए जाने और कुछ हलकों में एक ‘आधिकारिक उम्मीदवार’ के संबंध में चर्चा से वाकिफ हैं, लेकिन गांधी परिवार ने उनसे बार-बार कहा है कि वह ‘ प्रत्यक्ष या परोक्ष’ रूप से किसी का समर्थन नहीं कर रहा है।

तिरुवनंतपुरम से सांसद ने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री को उनके कार्यालय में अपना नामांकन पत्र सौंपा। इससे पहले थरूर ढोल-नगाड़े की थाप के बीच अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) मुख्यालय पहुंचे।

थरूर ने नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन में मल्लिकार्जुन खड़गे से मुकाबले के सवाल पर कहा कि वह कांग्रेस के भीष्म पितामह हैं। पार्टी अध्यक्ष पद के लिए खड़गे ने भी नामांकन भरा है।

थरूर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह एक दोस्ताना मुकाबला है। हम कोई दुश्मन या प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं। मैं उनका अनादर नहीं करता, लेकिन मैं अपने विचार व्यक्त करूंगा।’’

थरूर ने खड़गे (80) को ‘‘निरंतरता बनाए रखने वाल उम्मीदवार’’ करार दिया। उनका इशारा इस बात की ओर था कि कर्नाटक के नेता खड़गे, गांधी परिवार की पंसद हैं।

थरूर ने कहा कि उन्हें यथास्थिति बनाए रखने को लेकर पार्टी की सोच पर कोई आश्चर्य नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘ यदि आप यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं तो खड़गे जी को वोट दें। अगर आप 21वीं सदी के नजरिए से बदलाव और विकास चाहते हैं तो मैं उम्मीद करता हूं कि मैं वह बदलाव ला पाऊंगा।’’

खड़गे के नामांकन दाखिल करने के दौरान कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी के बारे में थरूर ने कहा कि दृष्टिकोण के बीच अंतर दिखाई दे रहा था और वरिष्ठ नेता नामांकन के समय खड़गे के साथ थे वहीं जब उन्होंने अपना पर्चा दाखिल किया तो आम पार्टी कार्यकर्ता उनके साथ थे।

थरूर ने कहा, ‘‘क्या आप यथास्थिति को बनाए रखना चाहते हैं, क्या आप चाहते हैं कि व्यवस्था इसी तरह से कायम रहे? फिर आपको खड़गे जी को वोट देना चाहिए, क्या आप बदलाव चाहते हैं, क्या आप जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाना चाहते हैं, पार्टी को निचले स्तर पर अवसर देना चाहते हैं, उल्टे पिरामिड आकार की तरह का संगठन होने के बजाय जिलों, ब्लॉकों और राज्यों में पार्टी को पुनर्जीवित और पुन: सक्रिय करना चाहते हैं…. तो मुझे वोट देने पर विचार करें।’

थरूर ने हिंदी में विस्तार से चर्चा की। थरूर और खड़गे दोनों दक्षिण भारत से नाता रखते हैं, जबकि पार्टी के अधिकतर प्रतिनिधि जो चुनाव में मतदान करेंगे, वे हिंदी भाषी राज्यों से हैं।

थरूर ने चुनाव से हटने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने बाद में हट जाने के लिए नामांकन दाखिल नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह उनका समर्थन करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे पास कांग्रेस के लिए एक दृष्टिकोण है और मैं इसे 9,000 से अधिक प्रतिनिधियों के साथ साझा करूंगा और उनका समर्थन मांगूंगा। मेरा नामांकन पत्र मुझे मिले व्यापक समर्थन को दर्शाता है। मेरे नामांकन पर एक दर्जन राज्यों के पार्टी कार्यकर्ताओं ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें कश्मीर से केरल और पंजाब से नगालैंड तक शामिल हैं।’’

थरूर ने नामांकन पत्रों के पांच सेट दाखिल किए। इसके साथ ही उन्होंने इस अवसर पर अपना एक घोषणापत्र भी जारी किया। हालांकि इसको लेकर विवाद शुरु हो गया क्योंकि इस घोषणापत्र में भारत के नक्शे में जम्मू एवं कश्मीर के कुछ हिस्सों को उचित तरीके से नहीं दिखाया गया था और उसमें लद्दाख नहीं था।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे को लेकर उन पर निशाना साधा लेकिन बाद में थरूर के कार्यालय ने कहा कि भारत के नक्शे को अब सुधार दिया गया है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि स्पष्ट तौर पर चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से आदर्श नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि अब इसमें (चुनाव प्रक्रिया में) सुधार की मांग करने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि अगर कोई मैच खेलना चाहता है तो उसे ‘उपलब्ध पिच पर ही बल्लेबाजी’ करनी होगी।

थरूर ने हालांकि जोर देकर कहा कि वह यह सुनिश्चित करने की पार्टी की प्रतिबद्धता को लेकर आश्वस्त हैं कि अध्यक्ष पद का चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से हो।

उन्होंने कहा कि उनका मानना ​​​​है कि एक नया नेता, जिस पर ‘मौजूदा तंत्र में बहुत लंबे समय से उलझे रहने के कारण थकान हावी नहीं हुई है’, पार्टी में नयी ऊर्जा भर सकता है। ऐसा नेता कांग्रेस द्वारा पिछले कुछ चुनावों में जुटाए गए जनसमर्थन से कहीं अधिक मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है।

उन्हें उम्मीद जताई कि गांधी परिवार इस तथ्य को मान्यता देगा कि वह कांग्रेस का आधार स्तंभ है और बना रहेगा, वह ‘हमारी नैतिक अंतरात्मा और अंतिम मार्गदर्शक’ है और बना रहेगा।

उन्होंने कहा कि गांधी परिवार के सदस्य इस भूमिका से पीछे नहीं हट सकते और उन्हें हटना भी नहीं चाहिए, फिर चाहे वे जो भी औपचारिक पद अपने पास रखें।

थरूर ने कहा, “मेरे विचार से, पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव भले ही एक आंतरिक अभ्यास है, लेकिन यह कांग्रेस में व्यापक स्तर पर लोगों की रुचि को जगाने और पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के अवसर का भी प्रतिनिधित्व करता है।”

भाषा अविनाश नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)