न्यायालय 35 देशों के कई नागरिकों को काली सूची में डालने के खिलाफ याचिका पर मार्च में सुनवाई करेगा |

न्यायालय 35 देशों के कई नागरिकों को काली सूची में डालने के खिलाफ याचिका पर मार्च में सुनवाई करेगा

न्यायालय 35 देशों के कई नागरिकों को काली सूची में डालने के खिलाफ याचिका पर मार्च में सुनवाई करेगा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : January 24, 2022/8:14 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह तब्लीगी जमात की गतिविधियों में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर 35 देशों के कई नागरिकों को भारत की यात्रा के लिए 10 साल तक काली सूची में डालने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं में उठाए गए विषयों पर मार्च में सुनवाई करेगा। इससे पहले केंद्र ने कहा कि इन मामलों में एक अहम सवाल विचार के लिए उठता है।

न्यायमूर्ति ए. एम़ खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी़ रविकुमार की पीठ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक बहुत ही महत्वपूर्ण ‘संवैधानिक प्रश्न’ विचार के लिए सामने आता है जो वीजा प्रतिबंधों के संबंध में किसी विदेशी के अधिकारों से संबंधित है।

मेहता ने कहा कि न्यायालय को इस मुद्दे पर विचार करते समय चार कानूनों – पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, विदेशी अधिनियम, विदेशी नागरिक पंजीकरण अधिनियम और नागरिकता अधिनियम पर गौर करना पड़ सकता है।

पीठ ने कहा, ‘जहां तक ​​मुख्य विषय का संबंध है, छोटा और महत्वपूर्ण प्रश्न भी शामिल है, जिसे जल्दी निपटाने की जरूरत है, हम मुख्य मामलों को मार्च के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हैं।’

शीर्ष अदालत ने 24 वर्षीय एक मलेशियाई नागरिक की याचिका पर भी गौर किया, जिसने इसके निपटारे का निर्देश देने का अनुरोध किया है। उसके खिलाफ बिहार में एक आपराधिक मामला दर्ज है और उसे रद्द करने के अनुरोध वाली एक याचिका पटना उच्च न्यायालय में लंबित है।

आवेदक की ओर से पेश अधिवक्ता शोएब आलम ने पीठ से कहा कि पिछले साल मार्च में उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय में मामले को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिकाओं के शीघ्र निपटारे का निर्देश दिया था।

आलम ने कहा कि केंद्र ने आवेदक की याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए उच्च न्यायालय से बार-बार समय दिए जाने का अनुरोध किया है।

पीठ ने कहा कि इस संबंध में पिछले आदेश में शीर्ष अदालत द्वारा जतायी गयी उम्मीद के बावजूद, आवेदन में की गई शिकायत उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित रिट याचिका पर सुनवाई में ‘कोई प्रगति नहीं’ तक सीमित है।

पीठ ने कहा कि इस आदेश के संदर्भ में कोई टिप्पणी करने की बजाए हम इस छूट के साथ आवेदन का निस्तारण करना उचित समझते हैं कि आवेदनकर्ता को लंबित याचिका के शीघ्र निष्पादन के लिए पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का ध्यान आकर्षित कर सकता है।

भाषा अविनाश अनूप

अनूप

 

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