भारत में सार्स-कोव-2 का दोहरे उत्परिवर्तन वाला स्वरूप, कई चिंताजनक स्वरूप पाए गए : सरकार

भारत में सार्स-कोव-2 का दोहरे उत्परिवर्तन वाला स्वरूप, कई चिंताजनक स्वरूप पाए गए : सरकार

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  • Publish Date - March 24, 2021 / 01:23 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:10 PM IST

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूपों के अंतर्गत कम से कम 18 राज्यों में पहले ही मिल चुके विषाणु के कई चिंताजनक स्वरूपों के अलावा दोहरे उत्परिवर्तन वाला एक नया स्वरूप भी भारत में मिला है।

इनमें से कुछ चिंताजनक स्वरूप ‘‘वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न’’ (वीओसी) पूर्व में दूसरे देशों में मिले थे।

मंत्रालय ने हालांकि कहा कि अब तक पर्याप्त रूप से यह स्थापित नहीं हो पाया है कि क्या भारत में हाल के दिनों में महामारी के मामलों में फिर से वृद्धि के लिए कोरोना वायरस के यही स्वरूप जिम्मेदार हैं।

इसने कहा कि भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) द्वारा की गई ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ में कई राज्यों में कोरोना वायरस के वीओसी और दोहरे उत्परिवर्तन वाले एक नए स्वरूप की पहचान हुई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 25 दिसंबर को आईएनएसएसीओजी की स्थापना की थी जो कोविड-19 से संबंधित विषाणुओं की ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ और विश्लेषण तथा जीनोमिक स्वरूपों के साथ महामारी संबंधी घटनाक्रमों को देखने वाला दस राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का समूह है।

मंत्रालय ने रेखांकित किया कि विभिन्न विषाणुओं के जीनोमिक स्वरूप एक प्राकृतिक घटनाक्रम हैं तथा ये सभी देशों में पाए जाते हैं।

इसने कहा, ‘‘जब से आईएनएसएसीओजी ने काम शुरू किया है तब से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से साझा किए गए 10787 संक्रमित नमूनों में से इस वायरस के 771 चिंताजनक स्वरूपों (वीओसी) का पता लगा है।’’

मंत्रालय ने कहा, ‘‘इनमें ब्रिटेन के वायरस (बी.1.1.7.) लिनिएज के 736 संक्रमित नमूने भी हैं। दक्षिण अफ्रीकी वायरस लिनिएज (बी.1.351) के 34 नमूने भी संक्रमित पाए गए हैं। एक संक्रमित नमूना ब्राजील के लिनिएज (पी.1) के वायरस से संबंधित पाया गया। ये वीओसी युक्त नमूने देश के 18 राज्यों में चिह्नित किए गए हैं।’’

इसने कहा कि कोरोना वायरस की ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ और इसका विश्लेषण अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों से लिए गए नमूनों, वीओसी से संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों के नमूनों और अधिकतर राज्यों में सामुदायिक स्तर पर एकत्र किए गए नमूनों से किया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि महाराष्ट्र से लिए गए नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि दिसंबर 2020 की तुलना में ई484क्यू और एल452आर उत्परिवर्तन के अंशों वाले नमूनों में वृद्धि हुई है।

इसने कहा कि इस प्रकार का उत्परिवर्तन दर्शाता है कि यह विषाणु शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में सफल रहता है और इसका प्रभाव भी पहले से अधिक है। ये उत्परिवर्तन लगभग 15 से 20 प्रतिशत नमूनों में पाए गए हैं और पहले सूचीबद्ध वीओसी के साथ मेल नहीं खाते हैं।

मंत्रालय ने कहा कि इन्हें वीओसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन इनमें भी अधिक परीक्षण, करीबी संपर्कों का व्यापक रूप से पता लगाना, संक्रमण के मामलों और संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों को तत्काल अलग करना तथा राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल के अनुसार इनके उपचार की आवश्वकता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि केरल के सभी 14 जिलों में से 2032 नमूनों की ‘सीक्वेंसिंग’ की जा चुकी है और एन440के ऐसा स्वरूप है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकता है तथा यह 11 जिलों से लिए गए 123 नमूनों में पाया गया है।

इसने कहा कि यह स्वरूप इससे पहले आंध्र प्रदेश से लिए गए 33 प्रतिशत नमूनों और तेलंगाना के 104 नमूनों में से 53 में पाया गया था। यह स्वरूप 16 अन्य देशों में भी पाया गया है जिनमें ब्रिटेन, डेनमार्क, सिंगापुर, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। अभी तक इस प्रकार के स्वरूप की बेहतर तरीके से जांच हुई है।

इसने कहा कि हालांकि वायरस के चिंताजनक स्वरूप (वीओसी) और दोहरे उत्परिवर्तन वाला स्वरूप भारत में पाया जा चुका है, लेकिन इनकी संख्या इतनी नहीं है जिससे यह स्थापित किया जा सके या ऐसा कोई सीधा संबंध दर्शाया जा सके कि इनकी वजह से कुछ राज्यों में कोरोना वायरस संबंधी महामारी के मामलों में वृद्धि हो रही है।

भाषा

नेत्रपाल पवनेश

पवनेश