कांग्रेस नेतृत्व से बढ़ती दूरी पर पूर्व विधायक की नाराजगी; खरगे की नेतृत्व शैली पर उठाया सवाल
कांग्रेस नेतृत्व से बढ़ती दूरी पर पूर्व विधायक की नाराजगी; खरगे की नेतृत्व शैली पर उठाया सवाल
भुवनेश्वर, 12 दिसंबर (भाषा) ओडिशा के एक पूर्व विधायक ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को एक सख्त पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच “बढ़ती दूरी” को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है और दावा किया कि वह स्वयं लगभग तीन वर्षों से विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मिलने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली।
बाराबती-कटक से विधायक रहे और खुद को कांग्रेस का आजीवन समर्पित कार्यकर्ता बताने वाले मोहम्मद मोकिम ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की नेतृत्व शैली पर भी सवाल उठाए।
उनका कहना था कि 83 वर्षीय खरगे भारत के युवा वर्ग से जुड़ने में असफल रहे हैं जो देश की आबादी का 65 फीसदी हिस्सा हैं।
मोकिम ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवरा, हिमंत बिस्वा सरमा जैसे कई उभरते युवा नेताओं ने इसलिए पार्टी छोड़ दी क्योंकि वे खुद को ‘उपेक्षित’, ‘नजरअंदाज’ और ‘अनसुना’ महसूस करते थे।
उन्होंने सुझाव दिया कि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी को केंद्रीय भूमिका में आकर प्रत्यक्ष और सक्रिय नेतृत्व संभालना चाहिए।
साथ ही उन्होंने कहा कि सचिन पायलट, डी.के. शिवकुमार, ए. रेवंत रेड्डी, शशि थरूर जैसे नेताओं को पार्टी की मुख्य नेतृत्व टीम का आधार बनना चाहिए।
मोकिम की बेटी वर्तमान में विधायक हैं। मोकिम ने कहा कि पार्टी की मौजूदगी भौगोलिक, संगठनात्मक और भावनात्मक स्तर पर लगातार सिमटती जा रही है।
उन्होंने कहा कि जिन समर्पित कार्यकर्ताओं ने अपना पूरा जीवन पार्टी को दिया है, उनके लिए यह स्थिति सिर्फ निराशाजनक नहीं, बल्कि वास्तव में दिल तोड़ देने वाली है।
पूर्व विधायक ने कहा कि बिहार, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में हालिया चुनाव परिणाम केवल चुनावी झटके नहीं हैं, बल्कि यह गहरे संगठनात्मक अलगाव को दर्शाते हैं। इन चुनावों में कांग्रेस को भारी अंतर से हार झेलनी पड़ी थी।
उन्होंने कहा कि नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच ‘‘दूरी लगातार बढ़ रही है’’ और “विधायक होने के बावजूद, मैं लगभग तीन वर्षों तक राहुल गांधी जी से मिलने का प्रयास करता रह गया।’’
सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा, “यह कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है, बल्कि पूरे भारत में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा महसूस किए जा रहे बड़े भावनात्मक अलगाव का संकेत है।”
भाषा खारी नरेश
नरेश

Facebook



