प्रवासी श्रमिकों की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका; उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती :न्यायालय |

प्रवासी श्रमिकों की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका; उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती :न्यायालय

प्रवासी श्रमिकों की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका; उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती :न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:53 PM IST, Published Date : July 21, 2022/9:11 pm IST

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रवासी श्रमिक राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं और कहीं से भी उनके अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने केंद्र से एक व्यवस्था बनाने को कहा ताकि प्रवासी श्रमिकों को बिना राशन कार्ड के अनाज मिल सके।

न्यायालय ने कहा कि ‘‘हमारे विकास करने के बावजूद लोग भूख से मर रहे हैं’’ और अधिकतम प्रवासी श्रमिकों को राशन मिलना सुनिश्चित करने के लिए तौर-तरीके तैयार किये जाने चाहिए।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि केंद्र द्वारा शुरू की गईं कल्याणकारी योजनाएं अधिकतम संख्या में श्रमिकों तक पहुंचनी चाहिए और राज्य सरकारों को केंद्र सरकार का सहयोग करना होगा।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक हमारे देश की बात है, दो लोग बहुत महत्वपूर्ण हैं। पहला, किसान हैं जो खेतिहर हैं और दूसरा प्रवासी श्रमिक हैं। प्रवासी, राष्ट्र निर्माण में भी एक बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। उनके अधिकारों की कहीं से भी अनदेखी नहीं की जा सकती।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए आपको उन तक पहुंचना होगा। वे निरक्षर हो सकते हैं और नहीं जानते होंगे कि सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे उठाना है। संबद्ध राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना का लाभ उन तक पहुंचे।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘प्रत्येक राज्य में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को अवश्य ही यह लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए कि वे कितनी संख्या में राशन कार्ड पंजीकृत करने जा रहे हैं। इस पर स्थानीय स्तर पर काम करना होगा क्योंकि हर राज्य की अपनी खुद की अर्हता है। अवश्य ही एक निर्धारित अर्हता होनी चाहिए।’’

न्यायमूर्ति नागरत्न ने मौखिक टिप्पणी में कहा, ‘‘आखिरकार, लक्ष्य यह है कि भारत में कोई नागरिक भूख से नहीं मरे। दुर्भाग्य से यह (भुखमरी से होने वाली मौत) हमारे विकास करने के बावजूद हो रही है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ लोग भूख से और भोजन के अभाव के चलते मर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि गांवों में, लोगों ने भूख से समझौता कर लिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह विषय पर कुछ आदेश जारी करेगा और दो हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा।

केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि असंगठित क्षेत्र के करीब 27.95 करोड़ श्रमिकों या प्रवासी श्रमिकों ने नेशनल इन्फोरमेटिक्स सेंटर (एनआईसी) के परामर्श से विकसित एक पोर्टल पर 11 जुलाई की तारीख तक पंजीकरण कराया था।

भाटी ने केंद्र द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में बताते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिक, निर्माण मजदूर आदि जैसे लोगों की मदद करने के लिए ई श्रम पोर्टल शुरू किया गया है।

उन्होंने दलील दी कि राज्यों की मांग के मुताबिक अनाज के अतिरिक्त आवंटन पर विचार किया जा रहा है और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को सितंबर तक विस्तारित कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से अनाज खरीद सकती हैं।

इसपर, नागरिक अधिकार सक्रियतावादियों-अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोकर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि केंद्र राज्यों से बाजार दर पर राशन खरीदने को कह रहा है।

भूषण ने कहा कि ज्यादातर श्रमिक राशन से वंचित हैं जबकि उन्होंने पोर्टल पर पंजीकरण करा रखा है लेकिन उनके पास राशन कार्ड नहीं हैं।

भूषण ने कहा कि 2011 की जनगणना के बाद राशन कार्ड के लिए पात्र आबादी की संख्या में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और वे वंचित हैं।

शीर्ष न्यायालय ने दलील का संज्ञान लिया और सवाल किया कि क्या गरीबों को महज इसलिए राशन से वंचित किया जा सकता है कि नयी जनगणना नहीं हुई है।

पीठ ने कहा, ‘‘आप (केंद्र) 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार चल रहे हैं और यह जरूरतमंद लोगों के लिए अन्याय हो सकता है और आपको इसपर गौर करना चाहिए। आपको उन्हें अपने भाई-बहन की तरह देखना चाहिए। आप उन्हें राशन देंगे जिनके पास राशन कार्ड हैं , उनका क्या होगा जिन्होंने पंजीकरण करा रखा है लेकिन उनके पास राशन कार्ड नहीं है। ’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘आपको इस पर सोचना होगा और एक समाधान निकालना होगा ताकि अधिकतम श्रमिक लाभान्वित हों। राज्य सरकार को सभी प्रयास करना चाहिए ताकि प्रवासियों के पास राशन कार्ड हो। हम अपनी आंखे नहीं मूंद सकतें।’’

न्यायालय ने अप्रैल में केंद्र ओर राज्य सरकारों से इस बारे में अप्रैल में अनुपालन रिपोर्ट मांगी थी कि उसके जून 2021 के आदेश का अनुपालन करने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं। यह आदेश प्रवासी श्रमिकों को भोजन और सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने के संबंध में जारी किया गया था।

भाषा

सुभाष नरेश

नरेश

 

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