कश्मीर का राजनीतिक विमर्श बदल गया है; स्वायत्तता की जगह लोकतंत्र, विकास ने ले लिया है: राम माधव |

कश्मीर का राजनीतिक विमर्श बदल गया है; स्वायत्तता की जगह लोकतंत्र, विकास ने ले लिया है: राम माधव

कश्मीर का राजनीतिक विमर्श बदल गया है; स्वायत्तता की जगह लोकतंत्र, विकास ने ले लिया है: राम माधव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : October 17, 2021/8:58 pm IST

नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव ने कहा कि कश्मीर में राजनीतिक विमर्श बदल गया है और स्वायत्तता एवं अलगाववाद के विषयों का स्थान अब लोकतंत्र और विकास ने ले लिया है, जो एक स्वागत योग्य कदम है।

लगभग पांच साल तक भाजपा महासचिव रहे और जम्मू-कश्मीर में पार्टी के प्रभारी रहे राम माधव ने कहा कि घाटी में भारत विरोधी ताकतें कमजोर और अलग-थलग पड़ रही हैं।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘कश्मीर आज पूरी तरह से अलग रास्ते पर चल रहा है। अब तक शांति खरीदने और संघर्ष को प्रबंधित करने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन अब यहां शांति स्थापित हो रही है। जब आप शांति खरीदते हैं, तो आपको कुछ समझौते करने पड़ते हैं, लेकिन जब आपको शांति स्थापित करनी है तो आपको उस ताकत की स्थिति में होना होगा, जो अभी दिख रही है..।’

उन्होंने अपनी हालिया किताब ‘द हिंदुत्व पेराडाइम’ में कश्मीर मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की है।

इस बात पर जोर देते हुए कि घाटी में भारत-विरोधी ताकतें कमजोर हो गई हैं और अलग-थलग पड़ गई हैं, उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में राजनीतिक विमर्श पूरी तरह से बदल गया है। जो लोग हमारा विरोध करते थे, अब वे भी अलगाववाद और स्वायत्तता के बजाय लोकतंत्र और चुनाव की बात करते हैं। यह स्वागत योग्य है और हम उनके साथ लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहेंगे।’

वैचारिक रूप से विपरीत दो दलों -भाजपा और पीडीपी- के बीच गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले राम माधव ने रेखांकित किया कि कश्मीर में राजनीतिक विमर्श बदल गया है। उन्होंने कहा, ‘स्वायत्तता और अलगाववाद की जगह लोकतंत्र और विकास ने ले ली है।’

चुनाव की मांग को ‘वास्तविक’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र इसके लिए प्रतिबद्ध है और बार-बार कहा गया है कि परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव होंगे।

उन्होंने कहा कि एक बार परिसीमन की कवायद पूरी हो जाने के बाद उन्हें यकीन है कि जम्मू-कश्मीर की अपनी विधायिका होगी।

भाषा सुरेश सुरेश सुभाष

सुभाष

 

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