नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं के अपनी जिंदगी में हासिल करने के लिए अलग अलग आकांक्षाएं और लक्ष्य हैं। इनमें से कोई मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना चाहती है तो कोई विलुप्त होती नृत्य शैलियों को बचाना चाहती है तो किसी को जीव विज्ञान में शोध करना है।
इस साल कुल 11 बाल पुरस्कार दिए गए हैं। इनमें से छह लड़कों को और पांच लड़कियों को पुरस्कृत किया गया है। ये 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। प्रत्येक विजेता को एक पदक, एक लाख रुपये और प्रमाण पत्र दिया गया है।
18 वर्षीय एम गौरवी रेड्डी कुचिपुड़ी नृत्य शैली में निपुण नृत्यांगना हैं।
उन्होंने अपनी भावी योजना के बारे में पीटीआई-भाषा से बातचीत करते हुए कहा कि वह विलुप्त हो रही विभिन्न नृत्य कला शैलियों में शोध करना चाहती हैं और युवा पीढ़ी को उन्हें सिखाकर उन्हें संरक्षित करने के तरीकों पर गौर करना चाहती हैं।
रेड्डी ने कहा, “कई भारतीय नृत्य शैलियों को भुलाया जा रहा है। मैं उन्हें पुनर्जीवित करना चाहती हूं और उन्हें फलने-फूलने में मदद करने के तरीकों की तलाश के लिए उन पर शोध भी करना चाहती हूं।”
रेड्डी को ‘कला और संस्कृति’ श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।
वहीं अनुष्का जॉली के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना सबसे महत्वपूर्ण है और इसी को वह अपने जीवन का मिशन बनाना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, “मैं मनोविज्ञान में डिग्री हासिल करना चाहती हूं और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समाधान सभी के लिए आसानी से उपलब्ध हों, उस दिशा में काम करना चाहती हूं।”
उन्हें ‘एंटी-बुलिंग स्क्वाड कवच’ नामक एप्लिकेशन विकसित करने के लिए ‘नवाचार’ श्रेणी में सम्मानित किया गया है। ये ऐप पिछले चार वर्षों से विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परामर्श प्रदान कर रहा है।
नौ वर्षीय ऋषि शिव प्रसन्न पांच साल की उम्र से ही कोडिंग सीख रहे हैं। उनकी मां रेचू के मुताबिक, उनका आईक्यू स्तर 180 है और वह ‘सबसे कम उम्र का प्रमाणित एंड्रॉइड एप्लिकेशन डेवलपर’ है।
प्रसन्न ने कहा कि उनकी जीव विज्ञान में काफी रूचि है और इस क्षेत्र में वैज्ञानिक बनना चाहते हैं।
बेंगलुरु के रहने वाले प्रसन्न ने कहा कि उन्होंने विज्ञान पर एक किताब भी लिखी है जिसे उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ साझा किया है।
पारंपरिक पोशाक पहने पुरस्कार विजेताओं ने ईरानी से बातचीत की और अपने सपनों और आकांक्षाओं पर चर्चा की।
ईरानी बच्चों को प्रधानमंत्री संग्रहालय ले गईं। ये भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया है। मंत्री ने बाल पुरस्कार विजेताओं को बताया कि कैसे हर प्रधानमंत्री ने देश के विकास में योगदान दिया।
पंद्रह वर्षीय आदित्य सुरेश हड्डी संबंधी विकार से पीड़ित है। वह बड़ा होकर पार्श्व गायक बनना चाहता है और एक स्थिर भविष्य के लिए सरकारी नौकरी भी करना चाहता हैं।
उसे कला और संस्कृति के क्षेत्र में पुरस्कार मिला है।
भाषा नोमान नरेश
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