इसरो के शीर्ष अधिकारी ने संप्रभु उपग्रह नेविगेशन समूह की वकालत की
इसरो के शीर्ष अधिकारी ने संप्रभु उपग्रह नेविगेशन समूह की वकालत की
नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) भारत में हवाई अड्डों पर ‘जीपीएस स्पूफिंग’ की घटनाओं की पृष्ठभूमि में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक शीर्ष अधिकारी ने अमेरिका के ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम’ (जीपीएस) पर निर्भरता कम करने के लिए स्वदेशी वैश्विक नेविगेशन प्रणाली की मंगलवार को जोरदार वकालत की।
‘जीपीएस स्पूफिंग’ का मतलब है- नेविगेशन प्रणालियों में इस तरह से हेरफेर करने का प्रयास कि वे गलत स्थिति, गति या समय दिखाएं।
जियोस्मार्ट इंडिया सम्मेलन और एक्सपो में एक संवादात्मक सत्र के दौरान इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के निदेशक प्रकाश चौहान ने कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को देखते हुए स्थिति निर्धारण, नेविगेशन और समय निर्धारण (पीएनटी) सेवाएं प्रदान करने के लिए संप्रभु उपग्रह समूह समय की मांग है।
भारत अपनी क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली ‘नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन’ (नाविक) का संचालन करता है, जिसके 11 उपग्रह हैं, जिनमें से केवल चार ही पूरी तरह से चालू हैं। अन्य चार उपग्रहों का उपयोग एकतरफा संदेश प्रसारण के लिए किया जा रहा है, एक को निष्क्रिय कर दिया गया है, और दो अपनी इच्छित कक्षा तक नहीं पहुंच पाए हैं।
चौहान ने कहा कि इसरो ने ‘नाविक’ प्रणाली को सुदृढ़ करने की योजना पहले ही तैयार कर ली है और अगले साल से नए उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाएगा।
कम से कम पांच देशों के पास अपनी पूरी तरह से कार्यशील नेविगेशन प्रणालियां हैं। इनमें अमेरिका का जीपीएस, रूस का ग्लोनास, यूरोपीय संघ का गैलीलियो, चीन का बेईदोउ और जापान का क्यूजेडएसएस शामिल है।
चौहान ने कहा कि ‘नाविक’ प्रणाली को बड़े पैमाने पर स्वीकार्य बनाने के लिए इसकी सेवा का विस्तार वैश्विक स्तर पर करना होगा तथा इसे भारतीय उपमहाद्वीप तक सीमित नहीं रखना होगा।
नाविक प्रणाली पूरे भारतीय क्षेत्र और देश भर के चारों ओर 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्र को ‘एल’5 और ‘एस’ बैंड की दोहरी आवृत्तियों पर कवर करती है। ‘एल5’ और एस बैंड रेडियोफ्रीक्वेंसी बैंड हैं जिनका उपयोग उपग्रह नेविगेशन संचार में किया जाता है।
सरकार ने सोमवार को संसद को बताया था कि पिछले महीने दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु सहित कई हवाई अड्डों पर ‘जीपीएस स्पूफिंग’ सिग्नल देखे गए, लेकिन इससे उड़ान संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
भाषा सिम्मी धीरज
धीरज

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