यात्रा संबंधी जानकारी व्यक्तिगत; आरटीआई के तहत तीसरे पक्ष को नहीं बताई जा सकती: दिल्ली उच्च न्यायालय

यात्रा संबंधी जानकारी व्यक्तिगत; आरटीआई के तहत तीसरे पक्ष को नहीं बताई जा सकती: दिल्ली उच्च न्यायालय

  •  
  • Publish Date - April 12, 2024 / 09:09 PM IST,
    Updated On - April 12, 2024 / 09:09 PM IST

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि यात्रा से संबंधित जानकारी व्यक्तिगत प्रकृति की होती है और सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत ऐसे विवरण किसी तीसरे पक्ष को तब तक नहीं दिये जा सकते, जब तक कि यह व्यापक जनहित में न हो।

अदालत ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिसमें 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में मौत की सजा पाए दोषी एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी की याचिका खारिज कर दी गयी थी।

सिद्दीकी ने एक जनवरी, 2006 से 30 जून, 2006 के बीच मुंबई हवाई अड्डे से हांगकांग या चीन तक मोहम्मद आलम गुलाम साबिर कुरैशी की ‘विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय’ (एफआरआरओ) या आव्रजन कार्यालय में दर्ज यात्रा प्रविष्टियों (प्रस्थान और आगमन) के संबंध में आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी।

उन्होंने सीआईसी के जनवरी 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें इस बाबत जानकारी देने से इनकार कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘‘किसी भी व्यक्ति की यात्रा की जानकारी व्यक्तिगत जानकारी है और इस तरह के विवरण किसी तीसरे पक्ष को तब तक नहीं बताए जा सकते जब तक कि यह व्यापक सार्वजनिक हित में न हो। इस अदालत की राय है कि सीआईसी का यह दृष्टिकोण इतना विकृत नहीं है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत हस्तक्षेप की जरूरत पड़े।’’

याचिकाकर्ता ने आव्रजन ब्यूरो के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) के समक्ष एक आरटीआई आवेदन दायर किया था, जिसने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी थी कि विभाग को आरटीआई अधिनियम की धारा 24(1) और दूसरी अनुसूची के तहत कोई भी जानकारी प्रदान करने से छूट दी गई थी।

इसके बाद, याचिकाकर्ता ने सीआईसी के समक्ष अपील दायर की लेकिन उसने भी इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि सिद्दीकी तीसरे पक्ष की जानकारी मांग रहा था, जो अधिनियम की धारा 8(1)(जे) के तहत छूट की श्रेणी में है।

उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 391 के तहत संबंधित अदालत से संपर्क करके यह जानकारी प्राप्त करने का विकल्प हमेशा खुला है कि यात्रा विवरण निचली अदालत के रिकॉर्ड का हिस्सा है या नहीं।

जेल में बंद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उसे मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में मुंबई के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने झूठा फंसाया गया है।

भाषा सुरेश माधव

माधव