तृणमूल कांग्रेस सांसद ने भाजपा पर बंगालियों से नफरत करने का आरोप लगाया

तृणमूल कांग्रेस सांसद ने भाजपा पर बंगालियों से नफरत करने का आरोप लगाया

तृणमूल कांग्रेस सांसद ने भाजपा पर बंगालियों से नफरत करने का आरोप लगाया
Modified Date: December 9, 2025 / 04:52 pm IST
Published Date: December 9, 2025 4:52 pm IST

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बंगालियों से नफरत करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि बांग्लाभाषी लोगों को रोहिंग्या करार देकर देश से निकाला जा रहा है, जबकि गृह मंत्रालय के निर्देश के तहत मिजोरम में रोहिंग्याओं को प्रवेश दिया जा रहा है।

बनर्जी ने लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा में भाग लेते हुए आरोप लगाया कि गृह मंत्रालय ने मिजोरम सरकार को बाहर से आने वाले लोगों को प्रवेश की अनुमति दी है।

उन्होंने दावा किया कि यदि दिल्ली में कोई बांग्ला बोलता है तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है।

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तृणमूल सांसद ने देश से बंगाली लोगों को रोहिंग्या करार देकर निकाले जाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘आज रोहिंग्या कहां आ रहा है, वह मिजोरम में आ रहा है गृह मंत्रालय के निर्देशों के तहत।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि क्या समस्या है…भाजपा ‘बंगाली हेटर’ है, यही कारण है कि ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ी गई थी और राजाराम मोहन राय की कटु आलोचना की गई थी।’’

बनर्जी ने कहा कि यही कारण है कि हमारे प्रधानमंत्री (बंकिमचंद्र चटर्जी को) ‘बंकिम दा’ कहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी की तीन पीढ़ी पहले बंकिमचंद्र चटर्जी का जन्म हुआ था, लेकिन वह उन्हें भी ‘दादा’ बोल देते हैं। वह कभी किसी गुजराती को तो ‘दादा’ नहीं बोलते…क्या वह (सरदार पटेल को) ‘वल्लभभाई दा’ बोलते हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल से ताल्लुक रखने वाले एक केंद्रीय मंत्री वहां नागरिकता प्रमाण पत्र बांट रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार उस मंत्री को गिरफ्तार नहीं कर रही है और यह प्रमाणपत्र नागरिकता अधिनियम के तहत बांटा जा रहा है।

बनर्जी ने दावा किया कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) इसके लिए अर्द्ध न्यायिक शक्तियों का प्रयोग कर रहा है कि इस देश का नागरिक कौन होगा? उन्होंने कहा कि उपयुक्त प्रक्रिया के अभाव के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को नागरिकता गंवाने का भय है।

बनर्जी ने सवाल किया कि यदि मतदाता सूची से लोगों के नाम हटा दिए गए तो चुनाव का क्या फायदा होगा?

तृणमूल सांसद ने कहा, ‘‘अब तक मतदाता तय करते थे कि सत्ता में कौन आएगा। लेकिन अब मोदी जी तय करते हैं। सरकार निर्वाचन आयोग के जरिये तय करती है कि उसे वोट देने के लिए उसका वोटर कौन-कौन होगा।’’

उन्होंने कहा कि एसआईआर प्रपत्र भरे जाने के लिए रिश्तेदारों को परिभाषित नहीं किया गया है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या ऐप तय करेगा कि मेरा रिश्तेदार कौन है? यदि मेरा नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था तो क्या मेरा नाम शामिल नहीं होगा?’’

बनर्जी ने कहा कि उद्देश्य था समावेश का, लेकिन यहां एसआईआर का मकसद है कि कैसे नाम बाहर किया जाए। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या निर्वाचन आयोग तय करेगा कि देश का नागरिक कौन है? यह नागरिकता अधिनियम तय करेगा, निर्वाचन आयोग नहीं।’’

तृणमूल सांसद ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में की गई एसआईआर प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि आप (सत्तापक्ष) लोगों ने सभी घुसपैठियों को निकाल देने की बात कही थी।

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी ने (बिहार) जाकर भाषण दिया कि हम लोगों ने घुसपैठियों को निकालने के लिए एसआईआर किया है। लेकिन बिहार के एसआईआर में एक भी घुसपैठिया नहीं मिला…आप अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहे।’’

उन्होंने कहा कि विदेशी घुसपैठ करते हैं और बीएसएफ उन्हें रोक नहीं पाती तो यह गृह मंत्री और प्रधानमंत्री की खामी है, न कि किसी और की।

बनर्जी ने एसआईआर की शुरूआत के बाद बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) पर काम का अत्यधिक बोझ डाले जाने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि पश्चिम बंगाल में इनमें से 20 प्रतिशत ने आत्महत्या कर ली, पांच प्रतिशत बीमार पड़ गए और तीन प्रतिशत ने आत्महत्या की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि यह केवल बंगाल की तस्वीर नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में नौ, गुजरात में छह और राजस्थान में तीन प्रतिशत है, जहां भाजपा की सरकारें हैं।

भाषा सुभाष वैभव

वैभव


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