(तस्वीर के साथ)
नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को विशाखापत्तनम में नौसेना के दो ‘डाइविंग सपोर्ट वेसल (डीएसवी) का जलावतरण किया गया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में एडमिरल कुमार ने कहा कि डीएसवी का जलावतरण “भारत के पोत निर्माण उद्योग और अनुभव की परिपक्वता को दर्शाता है।”
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि डीएसवी अपनी तरह के पहले पोत हैं और इनका डिजाइन तथा निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विशाखापत्तनम ने नौसेना के लिए किया है।
नौसेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘निस्तार’ और ‘निपुण’ के निर्माण में प्रयुक्त लगभग 80 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है जो कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया गया एक बड़ा कदम है।
बयान में कहा गया कि डीएसवी परियोजना ने स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा किये और स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहित किया जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
नौसेना प्रमुख की पत्नी और नौसेना देखभाल एवं कल्याण संघ (एनडब्ल्यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष कला हरि कुमार ने पारंपरिक ढंग से इन पोतों का नामकरण किया और इस अवसर पर मौजूद लोगों ने बंगाल की खाड़ी में पोतों के जलावतरण का तालियां बजाकर स्वागत किया।
एडमिरल कुमार ने अपने संबोधन में कहा, “भारतीय नौसेना के दो जटिल और अहम पोतों के जलावतरण के ऐतिहासिक मौके पर यहां होना गर्व का विषय है। एक बार नौसेना में शामिल होने के बाद ये स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसेल (डीएसवी) आईएनएस निपुण और आईएनएस निस्तार के नाम से जाने जाएंगे।”
उन्होंने कहा, “निस्तार और निपुण न केवल गहरे समुद्र के हमारे अभियानों में एक नए युग का सूत्रपात करेंगे बल्कि एक विश्वसनीय बल के रूप में भारतीय नौसेना का स्तर भी ऊंचा करेंगे। इसके अलावा ये पोत हिंद महासागर में पनडुब्बी बचाव अभियानों में भी सबसे आगे बढ़कर हिस्सा ले सकेंगे।”
बयान में कहा गया कि इन पोतों को गहरे समुद्र में गोते लगाने संबंधी अभियान में तैनात किया जाएगा। ये पोत सतत गश्त करने, तलाश एवं बचाव अभियान चलाने तथा ऊंची लहरों के दौरान हेलीकॉप्टर अभियानों के संचालन में सक्षम हैं।
भाषा यश संतोष
संतोष