विजयन ने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग खारिज की, यूडीएफ ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया |

विजयन ने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग खारिज की, यूडीएफ ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया

विजयन ने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग खारिज की, यूडीएफ ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : July 29, 2021/5:16 pm IST

तिरुवनंतपुरम, 29 जुलाई (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 2015 में विधानसभा में हंगामे से जुड़े मामले पर शिक्षा मंत्री वी सिवनकुट्टी के इस्तीफे की मांग खारिज कर दी जिसके बाद विपक्ष ने बृहस्पतिवार को सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।

वहीं, युवा संगठनों ने सिवनकुट्टी को हटाए जाने की मांग के साथ सड़कों पर प्रदर्शन तेज कर दिया है।

कांग्रेस नीत यूडीएफ ने राज्य विधानसभा में छह साल पुरानी घटना को उठाया। एक दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने मामले में सिवनकुट्टी समेत एलडीएफ के विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले को वापस लेने की सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था।

यूडीएफ ने कहा कि सिवनकुट्टी के लिए मंत्री के पद पर रहना ‘अनुचित’ होगा जब शीर्ष अदालत ने साफ कर दिया था कि मार्क्सवादी नेता को न्यायिक मुकदमे का सामना करना होगा और मुख्यमंत्री को नैतिक आधार पर या तो उनका इस्तीफा मांगने के लिए या उन्हें पद से हटाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

हालांकि, विजयन ने उनकी मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अदालत ने किसी व्यक्ति विशेष को दोषी नहीं पाया या किसी का नाम नहीं लिया और इसलिए इस्तीफे का सवाल नहीं उठता है।

एलडीएफ के विधायकों की संलिप्तता वाले मामले को वापस लेने की याचिका के साथ शीर्ष अदालत समेत विभिन्न अदालतों का रुख करने के सरकार के कदम को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा के अंदर विरोध के नाम पर एक विधायक के खिलाफ आपराधिक मामला उठाना कभी नहीं सुना होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि लोक अभियोजक को ‘आम जनहित’ की ओर से विधायकों के खिलाफ मामले को हटाने की मांग करने वाली याचिका दायर करने का अधिकार है।

मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा, “सरकार ने केवल विधायिका के विशेषाधिकार से संबंधित व्यवस्था को संरक्षित करने का प्रयास किया है।”

उन्होंने कहा कि तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष आरोपी विधायकों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई कर चुके थे और उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया था। साथ ही कहा कि एक अपराध के लिए दो सजाएं देना हमारी कानूनी अवधारणा के मूल सिद्धांत के खिलाफ है।

विजयन ने अपने रुख का बचाव करने के लिए 1998 से 2021 के बीच देश भर में विभिन्न राज्य विधानसभाओं के भीतर हुई हिंसक घटनाओं की एक विस्तृत सूची भी दी।

नोटिस पेश करते हुए, कांग्रेस विधायक पी टी थॉमस ने कहा कि इस घटना से राज्य विधानसभा का अपमान हुआ है।

वर्षों पुरानी घटना में सिवनकुट्टी की संलिप्तता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस मंत्री ने सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया वह लोगों के जीवन एवं संपत्ति की क्या रक्षा करेगा।

मुख्यमंत्री के जवाब से खफा विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया और बृहस्पतिवार को सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने की घोषणा की।

इस बीच, कई विपक्षी युवा संगठनों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अदालत के आदेश के मद्देनजर मंत्री के इस्तीफे की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन किया।

केरल विधानसभा में 2015 में हुए हंगामे पर शीर्ष अदालत के फैसले से राज्य में दो महीने पुरानी दूसरी पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार को झटका लगा है । शीर्ष अदालत ने इस सिलसिले में एलडीएफ विधायकों के खिलाफ अपराधिक मामला वापस लेने की याचिकाओं को बुधवार को खारिज कर दिया था।

भाषा

नेहा मनीषा

मनीषा

 

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