यूएनएससी में सुधार जरूरी, वैश्विक शांति में इसकी सीमित भूमिका: विदेश सचिव

यूएनएससी में सुधार जरूरी, वैश्विक शांति में इसकी सीमित भूमिका: विदेश सचिव

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  • Publish Date - April 18, 2022 / 10:04 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:47 PM IST

कोलकाता, 18 अप्रैल (भाषा) विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की जरूरत बताई और दावा किया कि यह निकाय वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाये रखने की जिम्मेदारी पूरी करने में सक्षम नहीं रहा है।

भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित वेबिनार में श्रृंगला ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनाई गयी यूएनएससी ने सीमित प्रतिनिधित्व के कारण वैश्विक रूप से हमेशा सीमित भूमिका निभाई है।

श्रृंगला ने कहा, ‘‘यूएनएससी अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर पा रहा। जब तक संयुक्त राष्ट्र, विशेष रूप से यूएनएससी का सुधार नहीं किया जाता, तब तक शांति और सुरक्षा बनाये रखने में वैश्विक निकाय की भूमिका कम प्रतिनिधित्व के कारण सीमित रहेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यूक्रेन-रूस संघर्ष के संदर्भ में यूएनएससी में गतिरोध सामने आया है। इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र महासभा में ले जाना होगा।’’

इस समय यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य हैं- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका। भारत इसके दस गैर-स्थायी सदस्यों में शामिल है। केवल स्थायी सदस्य को किसी महत्वपूर्ण फैसले में वीटो का अधिकार है।

भारत कई वर्ष से सुरक्षा परिषद में सुधार के प्रयासों की वकालत कर रहा है। उसका कहना है कि वह स्थायी सदस्य बनने योग्य है।

श्रृंगला ने सत्र में कहा कि पश्चिमी देशों या रूस द्वारा लागू एकपक्षीय पाबंदियों का देश में भारतीय व्यापार और निवेश पर असर पड़ेगा।

हालांकि विदेश सचिव ने इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कहा।

श्रीलंका में आर्थिक संकट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने द्वीपीय देश के पर्यटन क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि पर्यटन श्रीलंका के लिए राजस्व का मुख्य स्रोत है।

उन्होंने कहा कि भारत ने श्रीलंका को दो बार कर्ज दिया है वहीं श्रीलंका ने राहत के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से भी संपर्क किया है।

भारत में महामारी के कारण प्रभावित अर्थव्यवस्था के उबरने का जिक्र करते हुए श्रृंगला ने कहा कि देश ने 2020-21 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के रूप में 81 अरब डॉलर प्राप्त किये थे, वहीं जीडीपी इस वित्त वर्ष में आठ प्रतिशत तक पहुंच सकती है।

श्रृंगला के अनुसार सुधार की त्वरित गति, प्रोत्साहन पैकेज और व्यापक टीकाकरण अभियान ने देश को महामारी से पैदा हुए संकट से उबरने में मदद की है।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा