फर्जी बीमा दावे पेश करने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर यूपी बार काउंसिल को फटकार |

फर्जी बीमा दावे पेश करने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर यूपी बार काउंसिल को फटकार

फर्जी बीमा दावे पेश करने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर यूपी बार काउंसिल को फटकार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : October 13, 2021/2:05 pm IST

नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने फर्जी दावे पेश कर मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और श्रमिक मुआवजा अधिनियम के तहत बीमा कंपनियों को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को फटकार लगाई है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिवक्ताओं द्वारा फर्जी दावा याचिकाएं दाखिल करने के गंभीर आरोपों के बावजूद यूपी बार काउंसिल द्वारा उन्हें अपना पक्ष पेश करने का निर्देश नहीं देना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि यह यूपी बार काउंसिल की ओर से उदासीनता और असंवेदनशीलता दर्शाता है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा को इस पर गौर करना चाहिये।

पीठ ने कहा, ”ऐसे में राज्य की बार काउंसिल का यह कर्तव्य है कि वह मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और श्रमिक मुआवजा अधिनियम के तहत फर्जी दावे दायर करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करे।”

शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सात अक्टूबर 2015 के आदेश के अनुपालन में गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को 15 नवंबर या उससे पहले सीलबंद लिफाफे में जांच के संबंध में रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार की ओर से दायर एक पूरक हलफनामे पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सात अक्टूबर 2015 के आदेश के अनुपालन में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है।

पीठ ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि विशेष जांच दल को 1,376 संदिग्ध दावों के मामले मिल हैं। यह बताया गया कि 1,376 मामलों में से अभी तक 246 ऐसे संदिग्ध मामलों की जांच पूरी हो गयी है और पहली नजर में 166 आरोपियों के खिलाफ संज्ञेय अपराध का पता चला है जिसमे याचिकाकर्ता, अधिवक्ता, पुलिसकर्मी, डाक्टर, बीमा कर्मचारी, वाहन मालिक, ड्राइवर आदि शामिल हैं और इस संबंध में कुल 83 आपराधिक मामले दर्ज किये गए हैं। पीठ ने यह तथ्य का भी जिक्र किया कि हलफनामे के अनुसार संदिग्ध दावों के शेष मामलों में अभी जांच चल रही है।

पीठ ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि विशेष जांच दल ने भी इस मामले में तत्परता से कार्रवाई नहीं की और अभी तक जांच पूरी नहीं की है। पीठ ने इस मामले की जांच की रफ्तार की भी निन्दा की और राज्य सरकार तथा विशेष जांच दल को दर्ज की गयी शिकायत-जांच पूरी हो गये मामले और आरोपियों के नामों के साथ बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। हलफनामे में उन नामों का भी विवरण शामिल करना होगा जिनके खिलाफ आपराधिक शिकायतें दर्ज की गयी हैं और जिनमे आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है।

भाषा जोहेब अनूप

अनूप

 

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