उप्र : अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की 33वीं बरसी पर चप्पे-चप्पे पर निगरानी
उप्र : अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की 33वीं बरसी पर चप्पे-चप्पे पर निगरानी
अयोध्या, छह दिसंबर (भाषा) बाबरी मस्जिद विध्वंस की 33वीं बरसी पर शनिवार को अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए और चप्पे-चप्पे पर पुलिस निगरानी कर रही है।
अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों ने मंदिर नगरी और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में सघन जांच अभियान चलाया, कई चौकियों पर वाहनों को रोका, पहचान पत्रों की जांच की और नवनिर्मित राम मंदिर, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और प्रमुख सड़कों पर निगरानी बढ़ा दी।
पुलिस अधीक्षक (शहर) चक्रपाणि त्रिपाठी ने कहा, ‘ छह दिसंबर अयोध्या के लिए हमेशा एक संवेदनशील तारीख होती है। इस साल, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि शांति या सुरक्षा भंग न हो।’
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक समारोहों या रैलियों पर रोक लगाने के सख्त निर्देश जारी किए गए हैं, जबकि होटलों को आगंतुकों का विस्तृत रिकॉर्ड रखने के लिए कहा गया है।
उन्होंने बताया कि बम निरोधक दस्तों और श्वान दस्ते ने भी रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के कर्मियों के साथ मिलकर रेलवे स्टेशन के पार्किंग क्षेत्रों की जांच की।
अयोध्या के एक सामाजिक कार्यकर्ता इंदु भूषण पांडे ने कहा, ‘सरकार ने अंतिम फैसले के बाद ‘काला दिवस’ या ‘विजय दिवस’ मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।’
राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी कई प्रमुख हस्तियां, जिनमें अशोक सिंघल, कल्याण सिंह, बाल ठाकरे, महंत अवैद्यनाथ और मुरली मनोहर जोशी शामिल हैं, या तो दिवंगत हो चुकी हैं या सार्वजनिक जीवन में सक्रिय नहीं हैं।
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के नेता, जैसे जफरयाब जिलानी, सैयद शहाबुद्दीन, अब्दुल्ला बुखारी और सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी भी अब जीवित नहीं हैं। यहां तक कि मुख्य वादी हाशिम अंसारी और त्रिलोकी नाथ पांडे, जिनके नाम पर राम मंदिर के लिए अदालती फैसला सुनाया गया था, उनका भी निधन हो चुका है।
इस बीच, उच्चतम न्यायालय द्वारा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए आवंटित पांच एकड़ का भूखंड बंजर पड़ा है। अयोध्या विकास प्राधिकरण ने प्रस्तावित मस्जिद के लिए प्रस्तुत प्रारंभिक योजना को अस्वीकार कर दिया था, और तब से कोई संशोधित नक्शा दाखिल नहीं किया गया है।
भाषा
सं, आनन्द रवि कांत

Facebook



