वंदे मातरम् पर चर्चा बंगाल में चुनावी लाभ, वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए: खरगे
वंदे मातरम् पर चर्चा बंगाल में चुनावी लाभ, वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए: खरगे
नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर राज्यसभा में हुई बहस के दौरान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह चर्चा बंगाल चुनावों को ध्यान में रखते हुए शुरू की है और सरकार जनता की असली समस्याओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।
खरगे ने कहा, “भारत माता को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मिलेगी जब संसद आम जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर उनका समाधान करेगी।”
उन्होंने सरकार पर बेरोजगारी, बिगड़ती अर्थव्यवस्था, गिरते रुपये और सामाजिक चुनौतियों जैसे विषयों पर बहस से बचने का आरोप लगाया।
खरगे ने कहा, “उन्होंने वंदे मातरम पर चर्चा बंगाल चुनावों को देखते हुए शुरू की है। असल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि असली देशभक्ति प्रतीकों और भाषणों में नहीं, बल्कि आर्थिक समस्याओं व सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने में है।
अपने लगभग एक घंटे के संबोधन में खरगे ने पड़ोसी देशों में भारत के घटते प्रभाव की बात उठाई। उन्होंने कहा कि चीन का प्रभाव दक्षिण एशिया में बढ़ रहा है और भारत मौन है। उन्होंने तंज किया, “56 इंच का सीना किस काम का, जब चीन के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलते?”
उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल चीन से निवेश की मांग कर रहा है। चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर बांग्लादेश तीन तरफ़ा बैठकों में हिस्सा ले रहा है। बीजिंग अपनी रणनीतिक योजना के तहत खुलेआम दक्षिण एशिया को अपनी ओर खींच रहा है।’’
रुपये के अवमूल्यन का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में डॉलर के मुकाबले रुपया 55–60 के बीच था, जबकि अब 90 के पार पहुंच गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के पुराने भाषणों का हवाला देते हुए कहा कि पहले वे रुपये की गिरावट पर तीखी टिप्पणी करते थे।
खरगे की टिप्पणियों पर सत्ता पक्ष ने आपत्ति जताई। नेता सदन जे. पी. नड्डा ने कहा कि खरगे बहस के विषय से भटक रहे हैं। सभापति सी. पी. राधाकृष्णन ने भी खरगे से कहा कि वह विषय पर केंद्रित रहें, अन्य मुद्दों पर चर्चा बाद में की जा सकती है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी समेत भाजपा नेताओं पर जवाहरलाल नेहरू का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘वंदे मातरम्’ के पहले दो छंदों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाने का निर्णय केवल नेहरू का नहीं था, बल्कि यह निर्णय महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और अन्य नेताओं की सहमति से लिया गया था।
उन्होंने कहा “यह आपकी आदत हो गई है कि कांग्रेस को गाली देना और नेहरूजी को निशाना बनाना है। उनका कद कोई कम नहीं कर सकता। हम हमेशा वंदे मातरम् कहते आए हैं”
खरगे ने अपने संबोधन की शुरुआत “वंदे मातरम” के नारे से की और कहा कि कांग्रेस ने हमेशा यह गीत गाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस पर बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखित इस गीत को ‘बांटने’ का आरोप लगाया, लेकिन कांग्रेस नेता हमेशा से ‘वंदे मातरम्’ का उद्घोष करते रहे हैं।
खरगे ने कहा, “हम हमेशा से वंदे मातरम् गा रहे हैं। लेकिन जिन्होंने इसे नहीं गाया, वे अब गा रहे हैं। यह वंदे मातरम् की शक्ति है। यह राष्ट्रीय उत्सव है, बहस नहीं। जब 1921 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ, तब कांग्रेस सदस्य जेल जाते समय वंदे मातरम् गा रहे थे… आप तब क्या कर रहे थे? आप ब्रिटिशों के लिए काम कर रहे थे।”
उन्होंने आरोप लगाया, “आप हमें देशभक्ति सिखा रहे हैं? आप देशभक्ति से डरते थे और ब्रिटिशों की सेवा कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री, नेहरू जी का अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। मैंने साफ सुना कि प्रधानमंत्री ने छंद हटाने का दोष नेहरू पर डाला।”
खरगे ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने जब इस निर्णय को मंजूरी दी तब महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, मदन मोहन मालवीय और आचार्य जेबी कृपलानी मौजूद थे।
उन्होंने सवाल किया, “आप इन महान नेताओं का अपमान कर रहे हैं। यह उनका संयुक्त निर्णय था। अकेले नेहरू जी को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?”
उन्होंने दावा किया कि ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा उन समस्याओं से ध्यान हटाने का प्रयास है जिनका देश सामना कर रहा है
उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ एक मूल मंत्र है जो हम सबके जीवन का आधार है। उन्होंने कहा कि यह हमें देश के प्रति अपने कर्तव्य, अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराता है और अपनी देश भक्ति तथा निष्ठा को अक्षुण्ण रखने के लिए प्रेरित करता है।
खरगे ने कहा कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए राष्ट्रीय गीत को बहाना बना रही है। भाषण के अंत में उन्होंने एक दोहा उद्धृत करते हुए कहा कि चुनाव आते–जाते रहते हैं, लेकिन ‘वंदे मातरम्’ का सम्मान बना रहना चाहिए।
भाषा मनीषा अविनाश
अविनाश

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