‘वंदे मातरम’ एक शाश्वत गान: उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन

'वंदे मातरम' एक शाश्वत गान: उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन

‘वंदे मातरम’ एक शाश्वत गान: उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन
Modified Date: November 7, 2025 / 04:01 pm IST
Published Date: November 7, 2025 4:01 pm IST

नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने ‘वंदे मातरम्’ को एक शाश्वत गान बताते हुए शुक्रवार को कहा कि इसने राष्ट्रवाद की भावना को जागृत किया और यह पीढ़ियों को प्रेरित करता रहा है।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर, मैं अपने पूजनीय राष्ट्र गीत – एक शाश्वत गान – को नमन करता हूं जिसने राष्ट्रवाद की भावना को जागृत किया और जो पीढ़ियों को प्रेरित करता रहा है।’’

उन्होंने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा सात नवंबर, 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर रचित ‘वंदे मातरम्’ मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक बनाता है।

 ⁠

राधाकृष्णन ने याद किया, ‘‘यह गीत भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में उभरा, जिसने पूरे देश में देशभक्ति की भावना को फिर से जगाया और सभी क्षेत्रों, भाषाओं और धर्मों के लोगों को भक्ति और साहस के एक स्वर में एकजुट किया।’’

उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ भारत की सांस्कृतिक विरासत और सभ्यतागत लोकाचार का एक स्थायी प्रतीक है। उन्होंने रेखांकित किया कि यह आध्यात्मिक और राष्ट्रीय तथा व्यक्तिगत और सामूहिक के बीच सामंजस्य को दर्शाता है।

राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘‘वंदे मातरम्’ के अमर शब्द प्रत्येक भारतीय को समृद्ध और सामंजस्यपूर्ण राष्ट्र के निर्माण में देशभक्ति, अनुशासन और समर्पण के आदर्शों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।’

संविधान सभा ने ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्र गीत का दर्जा दिया था। संविधान सभा ने यह भी कहा था कि ‘जन गण मन’ राष्ट्रगान होगा, वहीं ‘वंदे मातरम’ को भी वही दर्जा और सम्मान प्राप्त होगा।

संसद का सत्र ‘जन गण मन’ के साथ शुरू होता है और ‘वंदे मातरम’ के गायन के साथ समाप्त होता है।

भाषा अविनाश नरेश

नरेश


लेखक के बारे में