सिनेमा में हमारी अपनी शब्दावली है : कान पुरस्कार विजेता पायल कपाड़िया
सिनेमा में हमारी अपनी शब्दावली है : कान पुरस्कार विजेता पायल कपाड़िया
नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) कान ग्रां प्री पुरस्कार विजेता पायल कपाड़िया का कहना है कि सिनेमा की खूबसूरती यह है कि सभी तरह की फिल्में एक साथ चल सकती हैं और ऐसा होना भी चाहिए।
उन्होंने दुनिया भर की फिल्मों के बीच अपनी फिल्म को मौका मिलने का श्रेय पुणे के एफटीआईआई में बिताए गए अपने छात्र जीवन के दिनों को दिया है।
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) की पूर्व छात्रा कपाड़िया ने “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट” के लिए ग्रां प्री पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म निर्देशक बनकर इतिहास रच दिया।
कपाड़िया की पदार्पण फीचर फिल्म “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट” 30 वर्ष में मुख्य प्रतिस्पर्धा श्रेणी में दिखाई गई भारत की पहली और किसी भारतीय महिला निर्देशक की पहली फिल्म है। इससे पहले शाजी एन. करुण की ‘‘स्वाहम’’ (1994) मुख्य प्रतिस्पर्धा में पहुंची थी।
पुरस्कार जीतने के बाद कपाड़िया ने प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘मैंने एफटीआईआई में पढ़ाई की और यह मेरे सिनेमा सीखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। हमने वहां दुनिया भर की फिल्में देखीं, हर जगह के सिनेमा का अध्ययन किया। शायद यह इस बात का असर था कि मैं किस तरह की फिल्में बनाना पसंद करती हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हो सकता है कि तब एक ऐसी भाषा बन जाए जिसके प्रति पश्चिमी दर्शक अधिक खुले हों क्योंकि मुझे लगता है कि सिनेमा में हमारी अपनी शब्दावली है। हम अपने समुदायों के इशारों को समझते हैं।’’
वहीं, अभिनय से राजनीति में आए गजेंद्र चौहान ने मंगलवार को कान में पुरस्कार विजेता पायल कपाड़िया को बधाई देते हुए कहा, ‘‘मुझे उस फिल्मकार पर गर्व है जिन्होंने संस्थान के अध्यक्ष के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान एफटीआईआई में अध्ययन किया था।’’
चौहान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कपाड़िया को बधाई और मुझे गर्व है कि जब वह वहां कोर्स कर रही थीं, उस समय मैं संस्थान का अध्यक्ष था।’’
भाषा शफीक वैभव
वैभव

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