राज्य ने मानवता व पुलिस में बच्ची का यकीन बहाल करने के लिए क्या किया है: केरल उच्च न्यायालय

राज्य ने मानवता व पुलिस में बच्ची का यकीन बहाल करने के लिए क्या किया है: केरल उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - December 6, 2021 / 06:38 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:38 PM IST

कोच्चि, छह दिसंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार से पूछा कि जिस बच्ची और उसके पिता पर ‘पिंक’ थाने से संबद्ध महिला पुलिस अधिकारी ने चोरी का इल्ज़ाम लगाया था, उसकी भावनाओं को शांत करने और मानवता तथा पुलिस में उसका यकीन बहाल करने के लिए क्या किया है।

आठ वर्षीय बच्ची ने अदालत में याचिका दायर कर उसके मौलिक अधिकार का हनन करने के लिए पुलिस अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने उक्त सवाल पूछा।

याचिका में 27 अगस्त को हुई अपमानित करने वाली घटना के लिए बतौर मुआवाज़ा 50 लाख रुपये की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा कि यह घटना इसलिए हुई, क्योंकि अधिकारी ‘ ताकत के नशे में’ चूर हैं।

न्यायाधीश ने पूछा, “ अगर यह आपकी बेटी होती तो आप क्या करतीं? यही मैं सरकार से पूछ रहा हूं। सरकार को बच्ची को अपनी बेटी समझना चाहिए उसका ख्याल रखना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि जिस तरह का अधिकारी ने कृत्य किया है वह अधिकारी और इंसान के तौर पर अनुपयुक्त है। न्यायाधीश ने कहा कि सरकार को जवाब देना होगा कि उसने बच्ची के सरंक्षण के लिए क्या प्रस्ताव किया है।

इस साल 27 अगस्त को अत्तींगल निवासी जयचंद्र अपनी आठ वर्षीय बेटी के साथ मूनुमुक्कू पहुंचे। वहां ‘पिंक’ थाने से संबंद्ध पुलिस अधिकारी रजीता यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए तैनात थी। उसने आठ वर्षीय बच्ची और उसके पिता पर पुलिस की गाड़ी से उनका फोन चोरी करने का आरोप लगाया। वायरल हुए वीडियो में दिख रहा है कि अधिकारी और उनके सहयोगी व्यक्ति और उसकी बेटी का उत्पीड़न कर रहे हैं और उनकी तलाशी ले रहे हैं। इससे बच्ची रोने लगी।

इस बीच एक राहगीर ने अपने फोन से अधिकारी के फोन का नंबर मिलाया तो फोन पुलिस गाड़ी में ही मिला, जिसके बाद पुलिस टीम वहां से व्यक्ति और उसकी बेटी से माफी मांगे बिना चली गई।

बहरहाल, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा, “ राज्य उसकी (बच्ची की) भावनाओं को शांत करने और मानवता और पुलिस में उसके विश्वास को बहाल करने के लिए क्या करने का प्रस्ताव दिया है?”

अदालत ने घटना के संबंध में राज्य पुलिस प्रमुख की ओर से दायर रिपोर्ट भी हैरानी जताई है, क्योंकि रिपोर्ट में कहा गया है कि उस दिन हुई घटना के संबंध में किशोर न्याय अधिनियम व किसी भी अन्य आपराधिक प्रावधान में अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है।

इस बीच महिला पुलिस अधिकारी ने एक हलफनामा दायर करके बच्ची, उसके परिवार और अदालत से घटना के लिए तहे दिल से माफी मांगी है।

हालांकि अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए महिला अधिकारी का तबादला किया जा चुका है। अदालत मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को करेगी।

भाषा

नोमान उमा

उमा