डब्ल्यूएचओ ने कोविड के गंभीर मरीजों के लिए दो एंटीबॉडी के संयोजन वाले उपचार की सिफारिश की |

डब्ल्यूएचओ ने कोविड के गंभीर मरीजों के लिए दो एंटीबॉडी के संयोजन वाले उपचार की सिफारिश की

डब्ल्यूएचओ ने कोविड के गंभीर मरीजों के लिए दो एंटीबॉडी के संयोजन वाले उपचार की सिफारिश की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : September 24, 2021/1:22 pm IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ‘द बीएमजी’ पत्रिका में शुक्रवार को प्रकाशित दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 से पीड़ित ऐसे मरीज जिनके गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा है या वे मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है, उन्हें दो एंटीबॉडी के संयोजन वाला उपचार दिया जाना चाहिए।

डब्ल्यूएचओ का गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप (जीडीजी) पैनल ने कोविड-19 मरीजों के दो भिन्न समूहों को ‘कासिरिविमाब’ और ‘इमदेविमाब’ के संयोजन वाला उपचार देने की सिफारिश की। पहले समूह में ऐसे मरीज शामिल किए गए जिन्हें गंभीर संक्रमण नहीं है लेकिन उन्हें अस्पताल में भर्ती करने का जोखिम अधिक है। दूसरे समूह में ऐसे लोग शामिल किए गए जो गंभीर संक्रमण से पीड़ित तो हैं लेकिन सीरोनेगेटिव (जिनकी जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई) हैं यानी जिनके शरीर में संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी प्रतिक्रिया नहीं हुई।

पहली अनुशंसा तीन ट्रायल में मिले नए साक्ष्यों पर आधारित है लेकिन समकक्ष अध्ययनकर्ताओं ने अभी इसकी समीक्षा नहीं की है। ट्रायल में पता चला कि इन दो दवाओं से उन लोगों के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम है और उनमें लक्षणों की अवधि भी घटती है जो गंभीर संक्रमण के जोखिम वाले समूह में आते हैं मसलन जिनका टीकाकरण नहीं हुआ, जो बुजुर्ग हैं या फिर वे मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है।

दूसरी अनुशंसा एक अन्य ट्रायल से प्राप्त डेटा पर आधारित है जिसमें पता चला कि दो एंटीबॉडी का इस्तेमाल मौत का जोखिम और सीरोनेगेटिव मरीजों को कृत्रिम श्वास की जरूरत को कम करता है।

अध्ययन में पता चला कि ‘कासिरिविमाब’ और ‘इमदेविमाब’ से उपचार करने पर गंभीर रूप से बीमार रोगियों में प्रति 1,000 में 49 कम मौत हुईं और गंभीर रूप से बीमार रोगियों में 87 कम मौत हुईं।

समिति ने कहा कि कोविड-19 के अन्य सभी मरीजों में इस एंटीबॉडी उपचार के कोई विशेष लाभ नहीं हैं।

‘कासिरिविमाब’ और ‘इमदेविमाब’ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी हैं जिनका मेल ‘सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन’ से चिपक जाता है और कोशिकाओं को संक्रमित करने की वायरस की क्षमता को खत्म कर देता है।

भाषा

मानसी शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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