सुधीर दंडोतिया, भोपालः कांग्रेस अध्यक्ष के लिए पहले अशोक गहलोत रेस में आगे थे लेकिन राजस्थान प्रकरण के बाद दिग्विजय सिंह ने दिल्ली में जोरदार दस्तक दी। लेकिन कांग्रेस संगठन में तो शायद अंदर ही अंदर कुछ अलग ही उठापटक चल रही थी। जिसका नतीजा ये रहा कि गुरुवार शाम को मल्लिकार्जुन खड़गे का आगे आया और शुक्रवार उन्होंने पर्चा ही दाखिल कर दिया। जिसके प्रस्तावकों की सूची में खुद दिग्विजय सिंह शामिल रहे।
कांग्रेस के अंदर पल पल पलटती सियासत के बीच कई सवाल भी खड़े होते हैं कि क्या सिर्फ गहलोत को रोकने के लिए दिग्विजय सिंह के नाम को आगे किया गया? क्या दिग्विजय सिंह वाकई पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चाहते थे? क्या बड़े नेताओं के बीच सहमति नहीं हो पाने के कारण दिग्विजय सिंह को पीछे हटना पड़ा? क्या दिल्ली के नेताओं को दिग्विजय सिंह की छवि से नुकसान का डर था? यदि दिग्विजय सिंह को नामांकन दाखिल नही करना था तो प्रस्तावकों की लिस्ट क्यों जारी की गई। वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन बीजेपी लगातार कहती रही कि कुछ भी हो दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनेंगे।
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वैसे दिग्विजिय सिंह का नाम जैसे ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उछला उनके समर्थक उत्साह से भर गए और मध्यप्रदेश के अलग अलग शहरों से दिल्ली पहुंच गए। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस नेताओं को ये महसूस होने लगा था कि यदि दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो 2023 में वे बढ़त पर रहेंगे। लेकिन ये देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस है जिसके बारे में कोई भी अनुमान लगाना निश्चित ही जल्दबाजी होगी