‘पीएम केयर्स फंड’ में पारदर्शिता का अभाव क्यों: कांग्रेस |

‘पीएम केयर्स फंड’ में पारदर्शिता का अभाव क्यों: कांग्रेस

‘पीएम केयर्स फंड’ में पारदर्शिता का अभाव क्यों: कांग्रेस

:   Modified Date:  March 18, 2024 / 08:28 PM IST, Published Date : March 18, 2024/8:28 pm IST

नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना क्यों की गई थी, इसे कितना और किससे धन प्राप्त हुआ तथा इसमें आए धन को कैसे वितरित किया गया।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल किया कि इस कोष को लेकर पारदर्शिता का इतना अभाव क्यों है?

कोविड-19 महामारी के समय ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना की गई थी।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अब जब चुनावी बॉण्ड के माध्यम से मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और डराने-धमकाने की राजनीति से जुड़े चौंकाने वाले विवरण सामने आ रहे हैं, तब हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार ने कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए एक और रास्ता खोल रखा है और वह है ‘पीएम केयर्स फंड’।’’

उन्होंने दावा किया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ में कुल कितना पैसा आया है और इसमें दान देने वाले कौन हैं, इसकी आधिकारिक तौर पर कोई रिपोर्ट नहीं है, लेकिन खबरों से पता चलता है कि इसे कम से कम 12,700 करोड़ रुपए का दान प्राप्त हुआ।

उन्होंने आरोप लगाया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ को कैग और सूचना के अधिकार कानून की निगरानी से छूट प्राप्त है, लेकिन यह सबको पता है कि सरकार के स्वामित्व और संचालन वाले कम से कम 38 सार्वजनिक उपक्रमों ने इस कोष में 2,105 करोड़ रुपये की बड़ी राशि दान की है।

रमेश ने कहा कि ‘पीएम केयर्स फंड’ को सरकार से कई विशेष छूट मिली है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी की शुरुआत के चार साल बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना क्यों की गई थी, इसे कितना और किससे धन प्राप्त हुआ, इसमें आए धन को कैसे वितरित किया गया और इसके प्रशासनिक ढांचे में पारदर्शिता की इतनी कमी क्यों है।’’

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चुनावी बॉण्ड की तरह ‘पीएम केयर्स फंड’ भी एक घोटाला है, जिसके सामने आने का इंतज़ार है।

रमेश ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए देश में बेरोजगारी की स्थिति का उल्लेख किया और दावा किया कि 2011-12 और 2022-23 के बीच पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सामाजिक सुरक्षा और अन्य लाभ के साथ नियमित वेतन वाली नौकरी की हिस्सेदारी स्थिर रूप से 25 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘स्व-रोज़गार में लगे व्यक्तियों की संख्या में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है। महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा और भी ज़्यादा है। इनमें स्व-रोज़गार की हिस्सेदारी 56.5 प्रतिशत से बढ़कर 64.3 प्रतिशत हो गई है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस की पांच न्याय और 25 गारंटी लोगों को सुनकर और उनकी समस्याओं को समझने के बाद तैयार की गई है। यह बेरोज़गारी और वेतन में बढ़ोतरी न होने की समस्या का समाधान करेगा और भारत को समृद्धि के पथ पर वापस ले जाएगा।’’

भाषा हक

हक दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)