नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सीबीआई और गुजरात सरकार से सवाल किया कि वे सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ एवं उनके पति जावेद आनंद के अग्रिम जमानत पर सात साल से अधिक समय तक रहने के बाद उन्हें वापस जेल क्यों भेजना चाहती है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा, ‘‘सवाल यह है कि कब तक आप किसी व्यक्ति को हिरासत में रखेंगे। अग्रिम जमानत दिये सात साल गुजर चुके हैं। आप उन्हें (तीस्ता को) वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि मामले के सिलसिले में अदालत के समक्ष कुछ अतिरिक्त सामग्री प्रस्तुत करने की जरूरत पड़ेगी, इसलिए चार हफ्ते का वक्त दिया जा सकता है।
सीतलवाड़ और उनके पति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अपर्णा भट ने कहा कि सीबीआई के अपील करने से जुड़ी एक कार्यवाही में अग्रिम जमानत दी गई थी। इसके बाद आरोपपत्र दाखिल किया गया था और तत्पश्चात सीतलवाड़ को नियमित जमानत दी गई थी।
उन्होंने कहा कि चूंकि एक नियमित जमानत दी गई है, ऐसे में अग्रिम जमानत के खिलाफ जांच एजेंसी की अपील का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
नायर ने कहा कि यह एक मामले में हुआ था, लेकिन सीतलवाड़ के खिलाफ एक से अधिक मामले हैं और अतिरिक्त सामग्री प्रस्तुत करने के लिए अदालत से चार हफ्तों का वक्त मांगा।
नायर ने कहा, ‘‘दो न्यायाधीशों की एक पीठ ने इस विषय को एक वृहद पीठ में भेज दिया है और सवाल तैयार किये हैं, जिन पर इस अदालत को निर्णय करने की जरूरत है।’’
पीठ ने विषय की सुनवाई चार हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी।
शीर्ष न्यायालय सीतलवाड़, आनंद, गुजरात पुलिस और सीबीआई द्वारा दायर याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रहा है। ये याचिकाएं दंपती के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों के संबंध में दायर की गई हैं।
भाषा सुभाष प्रशांत
प्रशांत
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