नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने शनिवार को कहा कि जैन जीवनशैली में शाकाहार को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का आदर्श माना जाता है और वह दो दशकों से अधिक समय पहले शाकाहारी हो गये थे।
जैन आचार्य हंसरत्न सुरीश्वर के 8वें 180 ‘उपवास पारणा’ समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने कहा कि जैन धार्मिक गुरुओं द्वारा प्रचारित अहिंसा ही विश्व शांति का मार्ग है।
राधाकृष्णन ने कहा, ‘जैन जीवनशैली में शाकाहार, पशुओं के प्रति करुणा और सतत जीवन जीने की आदत को पूरी दुनिया में पर्यावरणीय जिम्मेदारी का आदर्श माना जाता है।’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें मांसाहारी भोजन पसंद था लेकिन 2000 में काशी की यात्रा के बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया।
उन्होंने बताया कि गंगा में पवित्र स्नान करने से पहले किसी प्रिय चीज का त्याग करने की परंपरा के अनुसार उन्होंने मांसाहारी भोजन छोड़ दिया।
उन्होंने कहा, ‘जब आप मांसाहारी भोजन करते हैं, तो अनुभव अलग होता है। जब आप शाकाहारी भोजन करते हैं, तो आपका मानसिक दृष्टिकोण पूरी तरह बदल जाता है। यही मेरा अनुभव है।’
उन्होंने बताया, ‘आक्रामकता चली गई, धैर्य आया और घमंड खत्म हो गया…’
उपवास के लिए आंतरिक शक्ति की आवश्यकता पर बात करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवरात्र के नौ दिन उपवास रखते हैं।
उन्होंने कहा कि नवरात्र के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या वह कुछ खाना चाहेंगे, लेकिन मोदी ने बताया कि वह नवरात्र के नौ दिन उपवास रखते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं आश्चर्यचकित था कि वह इतने सक्रिय और ऊर्जावान कैसे हैं’ और उन्होंने यह भी बताया कि वह सरस्वती पूजा पर आधा दिन उपवास रखते हैं।
राधाकृष्णन ने यह भी बताया कि जैन आचार्य सुरीश्वर ने 180 दिन के उपवास को 80 बार निभाया है।
भाषा
राखी माधव
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