‘एक्स कॉर्प’ ने सामग्री हटाने के संबंध में ‘सहयोग’ पोर्टल की वैधता को चुनौती दी
‘एक्स कॉर्प’ ने सामग्री हटाने के संबंध में ‘सहयोग’ पोर्टल की वैधता को चुनौती दी
बेंगलुरु, 17 नवंबर (भाषा) सोशल मीडिया क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ‘एक्स कॉर्प’ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उसे जनवरी से जून 2025 के बीच सामग्री हटाने के 29,118 सरकारी अनुरोध प्राप्त हुए, जिनमें से 26,641 का अनुपालन किया गया और अनुपालन की दर 91.49 प्रतिशत है।
कंपनी ने तर्क दिया कि ये आंकड़े एकल न्यायाधीश के 24 सितंबर के उस फैसले के विपरीत हैं जिसमें कहा गया था कि मंच भारतीय कानून की अवहेलना करने का इरादा रखता है। यह डेटा केंद्र सरकार के ‘सहयोग’ पोर्टल को बरकरार रखने वाले आदेश के खिलाफ ‘एक्स’ की रिट अपील के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
अपनी हालिया अपील में ‘एक्स कॉर्प’ ने तर्क दिया कि सरकारी एजेंसियां सामग्री हटाने के आदेश जारी करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79(3)(बी) के साथ-साथ 2021 आईटी नियमों के नियम 3(1)(डी) का गैरकानूनी रूप से उपयोग कर रही हैं।
कंपनी ने कहा कि इससे एक समानांतर और असंवैधानिक तंत्र का निर्माण होता है जो आईटी अधिनियम की धारा 69ए को दरकिनार करता है, जो भारत में ऑनलाइन सामग्री को अवरुद्ध करने की एकमात्र वैधानिक प्रक्रिया है।
सोशल मीडिया कंपनी ने बताया कि श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2015) मामले में उच्चतम न्यायालय ने धारा 69ए के ढांचे और इसके अंतर्निहित सुरक्षा उपायों को बरकरार रखा था।
कंपनी ने तर्क दिया कि धारा 79 महज एक ‘सुरक्षित पनाह’ प्रदान करने वाला प्रवधान है जो मध्यस्थों को उत्तरदायित्व से बचाता है और यह सरकार को सामग्री अवरुद्ध करने का निर्देश देने का अधिकार नहीं देता है।
इसके बावजूद, 31 अक्टूबर 2023 के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ज्ञापन में कथित तौर पर मंत्रालयों और राज्य सरकारों के हजारों अधिकारियों को धारा 79(3)(बी) और नियम 3(1)(डी) के तहत अवरोध (ब्लॉकिंग) निर्देश जारी करने के लिए अधिकृत किया गया।
कंपनी ने दावा किया कि गृह मंत्रालय ने, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्देशों पर कार्य करते हुए, बिना किसी वैधानिक समर्थन या पारदर्शिता के ऐसे निष्कासन आदेशों को पूरा कराने के लिए एक गोपनीय ‘सहयोग’ पोर्टल बनाया।
कंपनी के अनुसार, यह शासकीय शक्ति का अनुचित विस्तार है तथा बिना उचित प्रक्रिया के सेंसरशिप को सक्षम बनाता है।
भाषा शोभना वैभव
वैभव

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