Dussehra 2022: दशहरे पर करें इन 2 पौधों की पूजा, श्रीराम से जुड़ा है नाता, हर काम में होगी विजय

Dussehra 2022 Worship these 2 plants on Dussehra which related Shri Ram: Dussehra 2022: दशहरे पर करें इन 2 पौधों की पूजा, श्रीराम से जुड़ा है नाता, हर काम में होगी विजय

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  • Publish Date - October 5, 2022 / 05:37 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:08 PM IST

Dussehra 2022: धर्म। आज देश में धूम-धाम से दशहरा या विजयदशमी मनाया जाएगा। हर साल नवरात्रि के 10वें दिन यानी नवमीं तिथि के एक दिन बाद दशहरा मनाया जाता है। विजयदशमी को बुराई पर अच्छाई, अधर्म पर धर्म की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस साल विजयदशमी 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा और देशभर में सूर्यास्त के बाद रावण दहन होगा। हमारे पुराणों में दशहरा पर कुछ पेड़ों की पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अगर दशहरे के बाद अगर इन पेड़ों की पूजा की जाए तो ये काफी शुभ होता है और इससे जीवन में धन-धान्य की प्राप्ती के साथ विजय भी होती है। तो चलिए हम आपको बताते हैं पुराणों में दशहरे पर कौन से पेड़ों की पूजा करना शुभ माना गया है?

शमी का पेड़

हमारे हिंदू धर्म में शमी के पेड़ की बहुत अधिक मान्यता है। शमी भी पेड़ ऐसे पेड़ों में आता है जो धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ होते हैं। पौराणि‍क मान्यताओं में शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है। पुराणों के अनुसार लंका पर विजयी पाने के बाद श्रीराम ने शमी पूजन किया था। नवरात्र में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है। इसके अलावा गणेश जी और शनिदेव, दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि शमी में स्वयं महादेव का वास होता है।

मान्यता है कि दशहरे के दिन अगर शमी के पेड़ की पूजा की जाए तो ये शुभ होता है और इसके साथ ही दुश्मनों पर विजय प्राप्ती होती है, घर में सुख-संपत्ति आती है और बाहरी यात्राओं का लाभ भी बनता है।

अपराजिता का पौधा

हिंदू धर्म में सभी पेड़-पौधों की अलग-अलग मान्यता होती है। दशहरे के दिन अपराजिता के पेड़ या उसके फूलों की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। अपराजिता पेड़ या फूल को देवी अपराजिता का रूप माना जाता है। अपराजिता की पूजा करने का सबसे अच्छा समय समय के हिंदू विभाजन के अनुसार अपराह्ण समय है। जीत के लिए देवी अपराजिता की पूजा की जाती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने राक्षस रावण को हराने के लिए लंका जाने से एक दिन पहले विजयादशमी पर देवी अपराजिता की पूजा की थी। कोई भी यात्रा करने से पहले देवी अपराजिता की पूजा की जाती है क्योंकि उनका आशीर्वाद यात्रा के उद्देश्य को पूरा करने और यात्रा को सुरक्षित बनाने में मदद करता है।