How Maa Durga was born, know why she is called Adishakti

Maa Durga janam katha : कैसे हुआ था मां दुर्गा का जन्म, जानिए क्यों कहा जाता है आदिशक्ति, किसने दिया था ये नाम

Maa Durga janam katha : कैसे हुआ था मां दुर्गा का जन्म, जानिए क्यों कहा जाता है आदिशक्ति, किसने दिया था ये नाम

Edited By :   Modified Date:  October 6, 2023 / 02:08 PM IST, Published Date : October 6, 2023/2:02 pm IST

Maa Durga Janam Katha: नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है और ये नौ देवियां शक्ति का ही रूप है। देवी दुर्गा के अंश के रूप में इन देवियों की पूजा होती है, लेकिन देवी दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई, अपार शक्ति कहां से आई  उन्हें प्रभावी अस्त्र कैसे और किससे मिले? इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते है। असल में देवी दुर्गा शक्ति का स्वरूप किसी विशेष कारण से बनीं। तो इस नवरात्रि के अवसर पर देवी के जन्म के बारे में जान लें।

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ऐसी हुई थी मां दुर्गा की उत्पत्ति 

पुराणों के अनुसार मानव ही नहीं देवता भी असुरों के अत्याचार से परेशान हो गए थे। तब सभी देवता ब्रह्माजी के पास गए और उनसे इस समस्या का  सामाधान मांगा। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्यराज का वध एक कुंवारी कन्या के हाथ ही हो सकता है। जिसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर अपने तेज को एक जगह समाहित किया जिससे देवी का जन्म हुआ।

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देवताओँ के तेज से बना देवी का शरीर

पुराणों में कहा गया है कि देव गणों की शक्ति से देवी की उत्पत्ति हुई है। लेकिन देवी के शरीर का अंग प्रत्येक देवों की शक्ति का अंश से हुआ है। जैसे भगवान शिव के तेज से माता का मुख बना, श्रीहरि विष्णु के तेज से भुजाएं, ब्रह्मा जी के तेज से माता के दोनों चरण बनें। वहीं, यमराज के तेज से मस्तक और केश, चंद्रमा के तेज से स्तन, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जांघें, पृथ्वी के तेज से नितंब, सूर्य के तेज से दोनों पौरों की अंगुलियां, प्रजापति के तेज से सारे दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौंहें, वायु के तेज से कान तथा अन्य सभी देवताओं के तेज से देवी के विभिन्न अंग बने है। इस प्रकार सभी देवताओं ने मिलकर देवी दुर्गा को जन्म दिया।

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 देवगण से मिले अस्त्र- शस्त्र

Maa Durga Janam Katha: सभी देवताओं ने मिलकर देवी का जन्म तो हो गया, लेकिन असुरों के अंत के लिए अभी भी अपार शक्ति की जरूरत थी। जिसके लिए देवताओं ने मिलकर अपने अस्त्र-शस्त्र दिए। जैसे  भगवान शिव ने उनको अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, हनुमान जी ने गदा, श्रीराम ने धनुष, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, वरुण ने दिव्य शंख, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, इंद्र ने वज्र, शेषनाग ने मणियों से सुशोभित नाग, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने उनका वाहन सिंह दिया।

इन सभी अस्त्र-शस्त्र को देवी दुर्गा ने अपनी भुजाओं में धारण किया। देवी के इस रूप को आदिशक्ति का नाम दिया गया। जिसका अर्थ यह है कि उनके जैसा कोई दूसरा शक्तिशाली नहीं है, उन शक्तियों का कोई अंत नहीं है, इसलिए मां दुर्गा को आदिशक्ति भी कहा जाता है।

 

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