दिल की बीमारियों के लिए पेट की चर्बी भी है वजह

दिल की बीमारियों के लिए पेट की चर्बी भी है वजह

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  • Publish Date - November 30, 2018 / 01:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 06:21 PM IST

हार्ट यानी दिल हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि ये पूरे शरीर को ऑक्सीजन और पोषक तत्व सप्लाई करता है। इसलिए इसका स्वस्थ रहना जरूरी है। ऐसे कई कारण हैं, जिनसे हार्ट को फंक्शन करने में परेशानी होती है, उन्हीं में से एक पेट की बढ़ हूई चर्बी भी है।
आपके पेट के आस-पास जितनी ज्यादा चर्बी जमा होगी, दिल की बीमारियों का खतरा भी उतना ही ज्यादा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मोटापे के कारण ट्राईग्लिसराइड्स और एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर भी सामान्य से ज्यादा तेज हो जाता है। एलडीएल के बढ़ने से ट्राईग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल मिलकर धमनियों में प्लाक बना लेते हैं। इन प्लाक के कारण धमनियां सकरी हो जाती हैं और रक्त को हृदय तक पहुंचने में परेशानी होती है। यही हार्ट अटैक का प्रमुख कारण है।
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ज्यादातर भारतीय लोगों में पेट की चर्बी और मोटापे का कारण अनुवांशिक होता है। इसलिए हमें पेट की चर्बी कम करने और मोटापा घटाने के लिए एक्सरसाइज और डाइट दोनों का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि भारतीय खान-पान भी इस प्रकार का है कि इससे मोटापा घटाना आसान नहीं है। भारतीय खान-पान में शुगर (चीनी) का प्रयोग बहुत होता है। ज्यादातर भारतीय त्यौहार बिना मिठाई और मीठी चीजों के अधूरे हैं। इसके अलावा भारतीय खानों में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें जैसे- बासमती चावल, तेल में छने-बने आहार, मैदा आदि का प्रयोग भी खूब होता है।

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आपको बता दें कि फ्राईड चीजें अपने आप में कोई समस्या नहीं हैं और न ही मोटापे का कारण बनती हैं मगर इसे फ्राई करने के लिए जिस तेल का इस्तेमाल किया जाता है उसमें सैचुरेटेड फैट बहुत ज्यादा होता है। इसलिए जानवरों से प्राप्त होने वाले फैट जैसे- मक्खन, क्रीम, पनीर आदि का इस्तेमाल बहुत ज्यादा नहीं करना चाहिेए। इसके अलावा यह भी बहुत जरूरी है कि आप सस्ते वेजिटेबल ऑयल (वनस्पति तेल) का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इसमें हाइड्रेजेनेटेड फैट होता है। इस तरह का सैचुरेटेड फैट पैकेटबंद आहारों, बिस्किट, कंफेक्शनरी, फ्रेंच फाइज और अन्य फास्ट फूड्स से मिलता है। ये फैट खतरनाक होता है क्योंकि इससे शरीर में एलडीएल की मात्रा बढ़ जाती है।
अमेरिकन हार्ट एसोशियन की एजवाइजरी (2015-2020) के अनुसार अगर आप सैचुरेटेड फैट की जगह पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड का प्रयोग करते हैं, तो इससे दिल की बीमारियों की संभावना 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है।