100 days of the Russo-Ukraine War ,know update till today

रूस-यूक्रेन युद्ध के 100 दिन, 70 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर रूस का कब्जा, हर पल एक बच्चा बना रहा शरणार्थी

100 days of the Russo-Ukraine War : दूसरी ओर इस युद्ध की तपिश ने भारत समेत अन्य देशों को भी कई परेशानियों में डाला।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:45 PM IST, Published Date : June 3, 2022/1:22 pm IST

100 days of the Russo-Ukraine War  : रूस और यूक्रेन के बीच जंग को आज 100 दिन पूरे हो गए। दोनों देशों के बीच 24 फरवरी से युद्ध की शुरूआत हुई थी। NATO मेंबरशिप को लेकर तनाव हुआ था, एक दूसरे को धमकी देने के बाद आखिरकार रूस ने यूक्रेन पर बमबारी करना शुरू कर दिया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने जंग का आगाज किया था। आज युद्ध को पूरे 100 दिन हो गए हैं। 100 होने के बाद भी इस युद्ध का परिणाम नहीं निकल पाया है। दूसरी ओर इस युद्ध की तपिश ने भारत समेत अन्य देशों को भी कई परेशानियों में डाला।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

रूस के सैनिकों ने सबसे यूक्रेन की राजधानी कीव में ताबड़तोड़ हमले किए। इस बीच कई बार राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच कई वार्ता भी हुए। लेकिन दोनों देश युद्ध के लिए शां​त नहीं हुए।

100 days of the Russo-Ukraine War  :  रूसी हमले की वजह से यूक्रेन के 68 लाख लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है, जो उसकी आबादी का लगभग 15% है। यानी, हर 6 में से एक यूक्रेनी को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

UNHRC की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 68 लाख लोगों में से लगभग 36 लाख लोग पोलैंड पहुंचे हैं, जिसकी वजह से उसकी जनसंख्या में 10% का उछाल आ गया।

2021 में जहां यूक्रेन की आबादी 4.3 करोड़ थी, वो अब घटकर 3.7 करोड़ रह गई है। दूसरी तरफ 80 लाख लोग यूक्रेन में आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं, जिस वजह से एक बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो गया।

यह संकट इतना विकराल है कि यूक्रेन में हर गुजरते सेकेंड के साथ एक बच्चा युद्ध शरणार्थी बन रहा है।

जेलेंस्की ने बताया कि रूसी हमलों की वजह से अब तक 243 बच्चे मारे गए हैं और 446 घायल हुए हैं।

यूक्रेन पर हमले से पहले, भारत रूस के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा था, जिसमें वैश्विक और क्षेत्रीय राजनीतिक-सुरक्षा विकास पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए 2+2 विदेश और रक्षा मंत्रियों की बातचीत शामिल थी।

लक्जमबर्ग की संसद में वर्चुअल संबोधन के दौरान जेलेंस्की ने कहा कि रूस अब तक यूक्रेन की 20 फीसदी जमीन पर कब्जा कर चुका है। गेहूं की आपूर्ति पर जेलेंस्की ने कहा, ‘यूक्रेन के सभी समुदी रास्ते और बंदरगाह रूस के कब्जे में हैं। संयुक्त राष्ट्र चाहे तो रूस से बात कर इन जगहों से गेहूं की आपूर्ति के लिए सुरक्षित रास्ता बनवा सकता है।’

यह साफ है कि भारत रूसी आक्रमण से खुश नहीं हो सकता है और इसका मोहभंग उन कारणों से पैदा हुआ है जो न केवल भारत-रूस संबंधों को सीधे प्रभावित करेंगे, बल्कि व्यापक भू-राजनीतिक वातावरण भी ऐसे हो जाएंगे जहां यूक्रेन पर हमला करने के लिए भारत के पास रूस के निर्णय से पहले की तुलना में कम विकल्प बचे होंगे।

ये अपडेट भी देखें

रूसी सेना ने यूक्रेन के पूर्वी शहर सेवेरोडोनेट्स्क में एक केमिकल प्लांट पर हवाई हमला किया। इस प्लांट में मौजूद नाइट्रिक एसिड के एक टैंक पर हमला हुआ।

अमेरिका यूक्रेन को 60 किलोमीटर से अधिक की रेंज वाली तोपें मुहैया कराएगा। इनके अगले हफ्ते यूक्रेन पहुंचने की संभावना है।

इसके अलावा 4,800 से ज्यादा रूसी नागरिकों पर बैन लगाया गया है और 562 इंस्टीट्यूशन और 458 कंपनियों को प्रतिबंध के दायरे में रखा गया है। कुल मिलाकर, 2014 से अब तक रूस पर 10,159 प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।

100 days of the Russo-Ukraine War  :  :  रूस की घेराबंदी करने के लिए पश्चिमी देश लगातार उस पर प्रतिबंधों का शिकंजा कस रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, युद्ध शुरू होने के बाद से रूस पर 5,831 प्रतिबंध लगाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1,144 प्रतिबंध अमेरिका ने लगाए हैं।

2021 में जहां यूक्रेन की आबादी 4.3 करोड़ थी, वो अब घटकर 3.7 करोड़ रह गई है। दूसरी तरफ 80 लाख लोग यूक्रेन में आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं, जिस वजह से एक बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो गया। यह संकट इतना विकराल है कि यूक्रेन में हर गुजरते सेकेंड के साथ एक बच्चा युद्ध शरणार्थी बन रहा है।

UNHRC की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 68 लाख लोगों में से लगभग 36 लाख लोग पोलैंड पहुंचे हैं, जिसकी वजह से उसकी जनसंख्या में 10% का उछाल आ गया।

रूसी हमले की वजह से यूक्रेन के 68 लाख लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है, जो उसकी आबादी का लगभग 15% है यानी की हर 6 में से एक यूक्रेनी को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद ऑपरेशन गंगा के तहत निकाले गए हजारों मेडिकल छात्रों की निगाह अब स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालय व राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) पर है। एनएमसी ने इन मेडिकल विद्यार्थियों को मानवीय आधार पर भारत में 12 महीने की इंटर्नशिप की इजाजत दे दी थी।

लक्जमबर्ग की संसद में वर्चुअल संबोधन के दौरान जेलेंस्की ने कहा कि रूस अब तक यूक्रेन की 20 फीसदी जमीन पर कब्जा कर चुका है। गेहूं की आपूर्ति पर जेलेंस्की ने कहा, ‘यूक्रेन के सभी समुदी रास्ते और बंदरगाह रूस के कब्जे में हैं। संयुक्त राष्ट्र चाहे तो रूस से बात कर इन जगहों से गेहूं की आपूर्ति के लिए सुरक्षित रास्ता बनवा सकता है।

रूसी सेना पूरी ताकत से डोनबास इलाके पर कब्जे में जुटी है. लुहांस्क का सिविरोदोनेस्क शहर रूसी हमलों के केंद्र में है। शहर के प्रशासन के मुताबिक, रूसी सेना शहर के 70 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर चुकी है और हजारों लोग घरों में बिना बिजली और भोजन के फंसे हुए हैं।

इस युद्ध की वजह से रुपए को भी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट का सामना करना पड़ा। IMF के मुताबिक, जहां 23 फरवरी को एक डॉलर के मुकाबले रुपया 74.6 पर था, वहीं 31 मई को ये 77.7 के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया। दूसरी तरफ 2022 की शुरुआत में जहां क्रूड ऑयल की कीमत 80 डॉलर बैरल थी वो रूसी हमले के बाद 128 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई।

महंगाई दर

भारत में सालाना महंगाई दर अप्रैल 2022 में बढ़कर 7.8% हो गई, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। खाद्य महंगाई दर लगातार सातवें महीने बढ़कर 8.4% हो गई। 31 मई को वनस्पति तेल की कीमत पिछले साल के मुकाबले 26.6% बढ़ गई, जबकि गेहूं की कीमत में 14.3% उछाल आया। इसके अलावा दुनिया भर के 45 देश गंभीर खाद्य संकट के मुहाने पर पहुंच चुके हैं।