Publish Date - September 22, 2022 / 09:42 PM IST,
Updated On - November 29, 2022 / 08:46 PM IST
बरुण सखाजी, सह-कार्यकारी संपादक
CG assembly election 2023 : बस्तर को दुनिया भले ही सिर्फ नक्सल के रूप में जानती है, लेकिन यह इलाका छत्तीसगढ़ की सियासत को भी तय करता है। राज्य बनने के बाद से लेकर आज तक बस्तर की बादशाहत ने छत्तीसगढ़ की बादशाहत तय की है। जो बस्तर जीतता है वही सत्ता की सिरमौर बनता है। हालांकि यह मिथक 2013 में विफल जरूर हुआ लेकिन 2018 में फिर रिस्टोर हो गया। भाजपा की राजनीति में मिथक, आंकड़े, परंपरा, नीति, रीति सबका समावेश है। ऐसे में वह इस मिथक को दरकिनार नहीं करना चाहती। अरुण साव प्रदेश अध्यक्ष बने तो पहला दौरा वे सरगुजा का करके आए, लेकिन वहां सिर्फ सूरजपुर तक ही सीमित रहे। लेकिन अब वे जब बस्तर गए हैं, तो पूरे 4 दिन लेकर। बस्तर के हाथ में कैसे है छत्तीसगढ़ की चाबी, करते हैं विश्लेषण।
बस्तर का चुनावी मिथक
बस्तर की 12 में से 11 सीटें एसटी आरक्षित हैं।
2018 में 12 में से 11 सीटें कांग्रेस ने जीती थी।
चित्रकोट विधायक दीपक बैज के सांसद बनने से यह सीट खाली हुई
कांग्रेस ने चित्रकोट को उपचुनाव में भी जीत लिया
2018 में दंतेवाड़ा इकलौती सीट भाजपा ने जीती थी
दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की नक्सल हमले में मौत हो गई
दंतेवाड़ा में उपचुनाव हुए तो 2018 में हारी कांग्रेस की देवती कर्मा जीत गई
अब बस्तर में सभी 12 की 12 सीटें कांग्रेस के पास हैं।
जो जीता बस्तर वही उसीके हाथ आई सत्ता
जो जीतता है बस्तर वही जीतता है छत्तीसगढ़
1998 के चुनाव से कायम यह मिथक 2013 में टूटा
लेकिन 2018 के चुनाव में फिर से यह सिद्ध हो गया
वर्ष 2000 में बस्तर की 12 की 12 सीटें कांग्रेस ने जीती थी
1998 में अविभाजित एमपी में दिग्विजय सिंह की दूसरी पारी
इस पारी में बस्तर की भूमिका अहम
छत्तीसगढ़ से 61 सीटें जीती थी कांग्रेस ने, जब बनी थी दिग्विजय-2 सरकार
बस्तर 2000 से अब तक किंगमेकर
बस्तर से होकर आता है छत्तीसगढ़ की सत्ता का रास्ता
2000 में बस्तर के 4 लाख वोटर ने कांग्रेस को दिए थे 12 विधायक
छत्तीसगढ़ के पहले चुनाव 2003 में हुए
2003 चुनाव में बस्तर ने बदल दिया ट्रेंड
2003 में भाजपा ने जीती 9 सीटें, कांग्रेस अटकी 3 पर
2003 में बस्तर जीती भाजापा तो सरकार बनाई
15 लाख वोटर थे 2003 में
8 लाख ने किया था मतदान
छत्तीसगढ़ के दूसरा चुनाव 2008 में हुए
2008 में बस्तर ने फिर भाजपा को चुना
2008 चुनाव में बस्तर से भाजपा ने जीती 11 सीटें, कांग्रेस 1 पर सिमटी
2008 में सिर्फ कवासी लखमा ही अपनी सीट बचा पाए
2008 में बस्तर में लगभग 17 लाख 88 हजार वोटर थे
इस समय 12 लाख लोगों ने मताधिकारी का प्रयोग किया
2008 में बस्तर में पहली बार 68 फीसद वोटिंग हुई
2013 में हुआ छत्तीसगढ़ के तीसरे विधानसभा चुनाव
इस बार बस्तर से सत्ता तक का मिथक टूटा
2013 में भाजपा की बस्तर में करारी हार हुई
भाजपा 2013 में सिर्फ 3 सीटें जीत पाई
2013 के चुनाव में कांग्रेस ने बस्तर में की वापसी
2013 में बस्तर में वोटर 19 लाख 60 हजार तक हो गए
13 लाख 71 हजार लोगों ने वोटिंग की
यह बस्तर में हुई वोटिंग का सबसे बड़ा आंकड़ा था
बस्तर की इन 12 सीटों में 70 फीसद वोटिंग हुई
यह वापसी 2018 तक रही बरकरार
ये चुनाव भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट सिद्ध हुए
2018 में कांग्रेस ने 12 में से 11 सीटें जीती
2018 में बस्तर में 20 लाख 64 हजार वोटर हो गए
14 लाख 30 हजार लोगों ने वोट डाला
बस्तर में अब तक की सर्वाधिक 72 फीसद वोटिंग हुई
कांग्रेस बस्तर में जीती तो सत्ता में भी आई
2013 में टूटा मिथक फिर से कायम हुआ
2018 के बाद से यहां 2 उपचुनाव हुए
दोनों कांग्रेस ने जीत लिए
2018 में यहां 12 की 12 सीटें कांग्रेस की हैं
बड़ी प्लानिंग में भाजपा
बस्तर विजय ही छत्तीसगढ़ विजय सिद्ध होती है। यह भाजपा बखूबी जानती है। बस्तर की मौलिक मिजाज कांग्रेसी झुकाव वाला रहा है। लेकिन भाजपा ने 2003 और 2008 में इस मिजाज को बदल दिया था। लेकिन अपना जनाधार कायम नहीं रख पाई। अबकी भाजपा की बस्तर विजय की बड़ी प्लानिंग है।