Vice Presidential Election Vote: नयी दिल्ली, 4 अगस्त । उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा को आम आदमी पार्टी (आप) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की ओर से समर्थन देने की घोषणा से विपक्षी खेमे को बल मिला, लेकिन संख्या बल अभी भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार जगदीप धनखड़ के पक्ष में है।
एम. वेंकैया नायडू का उत्तराधिकारी चुनने के लिए उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त को होगा। परिणाम उसी दिन आएंगे।
निर्वाचक मंडल अंकगणित के अनुसार, धनखड़ के पक्ष में दो-तिहाई वोट हैं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास लोकसभा में 303 और राज्यसभा में 91 सदस्य हैं।
Vice Presidential Election Vote: जनता दल (यूनाइटेड), वाईएसआरसीपी, बसपा, अन्नाद्रमुक और शिवसेना जैसे कुछ क्षेत्रीय दलों के समर्थन से, राजग उम्मीदवार को 515 से अधिक वोट मिलने की उम्मीद है, जो उनकी आसानी से जीत के लिए पर्याप्त है।
अल्वा को अब तक उनकी उम्मीदवारी के लिए विभिन्न पार्टियों द्वारा घोषित समर्थन के आधार पर लगभग 190-200 वोट मिलने की संभावना है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है। टीएमसी के लोकसभा में 23 और राज्यसभा में 16 सांसद हैं।
तेलंगाना राष्ट्र समिति और तेलुगु देशम पार्टी जैसे कुछ क्षेत्रीय दलों ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं और वे जल्द ही कोई फैसला ले सकते हैं।
दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने बुधवार को अल्वा को समर्थन देने की घोषणा की। पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति ने राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक के बाद ‘‘सर्वसम्मति से’’ अल्वा का समर्थन करने का फैसला किया। पार्टी ने कहा, ‘‘पार्टी के सभी राज्यसभा सदस्य 6 अगस्त को विपक्षी उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा को वोट देंगे।’’
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आप के राज्यसभा में 10 सांसद हैं, लेकिन भगवंत मान के पंजाब के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस्तीफा देने के बाद लोकसभा में उसकी कोई मौजूदगी नहीं है।
झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन ने बुधवार को एक बयान में अपने सांसदों से छह अगस्त को होने वाले चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री अल्वा के पक्ष में मतदान करने को कहा। झामुमो के कुल तीन सांसद हैं – दो राज्यसभा में और एक लोकसभा में।
धनखड़ चुनाव से पहले पार्टी के सांसदों से मिल रहे हैं, अल्वा ने संसद के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर कहा है कि निर्वाचित होने पर वह विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सेतु बनाने, राष्ट्रीय मुद्दों पर आम सहमति बनाने और संसद के गौरव को बहाल करने के लिए काम करेंगी।
अल्वा ने लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों को लिखे एक पत्र में कहा है कि उपराष्ट्रपति चुनाव को इस बारे में एक जनमत संग्रह के तौर पर देखा जाना चाहिए कि संसद किस तरह से संचालित हो रही है और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर आम सहमति बनाने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया किस कदर नाकाम हो गई है।
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अल्वा ने सांसदों से की गई अपील में कहा, ‘‘ उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने पर मैं संविधान को कायम रखने और हमारे संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अथक प्रयास करने के प्रति खुद को प्रतिबद्ध करती हूं। राज्यसभा की सभापति के रूप में, मैं विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सेतु बनाने, राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आम सहमति बनाने और संसद के गौरव को बहाल करने के लिए काम करूंगी।’’
लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में शामिल हैं।
वर्तमान में लोकसभा में कुल 543 और राज्यसभा में 237 सांसद हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है। धनखड़ और अल्वा दोनों पूर्व सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व राज्यपाल रह चुके हैं।
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