Bilaspur Lok sabha Election 2024: दल बदलुओं ने दे दी कांग्रेस को बड़ी टेंशन, डैमेज कंट्रोल करना बड़ी चुनौती |

Bilaspur Lok sabha Election 2024: दल बदलुओं ने दे दी कांग्रेस को बड़ी टेंशन, डैमेज कंट्रोल करना बड़ी चुनौती

Bilaspur Loksabha Election 2024: लोकसभा क्षेत्र के कई दिग्गज कांग्रेसी और पदाधिकारी पार्टी छोड़कर चले गए हैं। यही नहीं कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले नेताओं ने BJP का दामन थाम लिया है। बिलासपुर लोकसभा में कांग्रेस का कुछ ऐसा ही हाल है।

Edited By :   Modified Date:  April 20, 2024 / 08:37 PM IST, Published Date : April 20, 2024/8:36 pm IST

Bilaspur Loksabha Election: बिलासपुर। लोकसभा के सत्ता का संग्राम जारी है। इस सियासी संग्राम में नेताओं में दल बदलने की होड़ लगी हुई है। कोई विचारधारा की बात पर दल बदल रहा है तो कोई अपेक्षा और उपेक्षा पर पार्टी बदल रहा है। इस दल बदलने की राजनीति में कांग्रेस ज्यादा घिरी हुई नजर आ रही है। बुनियादी तौर पर बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में कमजोर कांग्रेस के लिए इसे बड़ा सियासी डैमेज माना जा रहा है। जिसका डैमेज कंट्रोल अब कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।

लोकसभा के सियासी संग्राम के बीच बिलासपुर में कांग्रेस का टेंशन बढ़ा हुआ है। ठीक चुनाव के वक्त दल बदलने वाले नेताओं ने कांग्रेस का टेंशन बढ़ा दिया है। लोकसभा क्षेत्र के कई दिग्गज कांग्रेसी और पदाधिकारी पार्टी छोड़कर चले गए हैं। यही नहीं कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले नेताओं ने BJP का दामन थाम लिया है। बिलासपुर लोकसभा में कांग्रेस का कुछ ऐसा ही हाल है।

Bilaspur Loksabha Election 2024: इन नेताओं ने बढ़ाई टेंशन

ठीक चुनाव के वक्त दल बदलने वाले नेताओं ने कांग्रेस का टेंशन बढ़ा दिया है। एक बाद एक कई दिग्गज नेता कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। चुनावी घोषणा के बाद बिलासपुर लोकसभा में ऐसे कांग्रेस नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। चाहे वो जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान हों, पूर्व मेयर और पीसीसी उपाध्यक्ष वाणी राव, पूर्व विधायक चंद्र प्रकाश वाजपेयी, लोकसभा चुनाव के संयोजक संतोष कौशिक या फिर सामाजिक नेता विष्णु यादव, तमाम नेताओं ने चुनावी सरगर्मी के बीच पार्टी का साथ छोड़कर और बीजेपी का दामन थामकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। चुनाव के बीच मचे सियासी भगदड़ से कांग्रेस की चुनावी चुनौती बढ़ते जा रही है।

जातिगत समीकरण साध रही कांग्रेस

पहले ही बिलासपुर लोकसभा में कांग्रेस की बुनियादी पकड़ कमजोर है। छत्तीसगढ़ गठन के पहले और बाद से लगातार कांग्रेस को यहां हार मिल रही है। ऐसे में युवा व जातिगत समीकरण के आधार पर प्रत्याशी उतारकर कांग्रेस जीत की बुनियाद रखना चाहती है। लेकिन दल बदलने वाले नेता इस उम्मीद पर पानी फेर रहे हैं।

कांग्रेस नेता चुनाव के समय होने वाले दल- बदल से इसे जोड़ रही है। हालांकि, कांग्रेस अब इसके डैमेज कंट्रोल में लग गई है। कांग्रेस नेताओं का कहना है चुनाव के समय ऐसा होता है। केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपाई भी कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। इधर कांग्रेस में मचे इस भगदड़ को भाजपा अंतर्कलह और अविश्वास से जोड़कर पॉलिटिकल माइलेज लेने में लगी हुई है।

कांग्रेस में अविश्वास की स्थिति: भाजपा

इधर भाजपा नेताओं का कहना है, कांग्रेस को लेकर अब हर जगह अविश्वास की स्थिति है। जनता के साथ पार्टी के नेता भी साथ छोड़ रहे हैं। बहरहाल, दल- बदल की इस राजनीति ने बिलासपुर लोकसभा में कांग्रेस को संकट में ला खड़ा किया है। भाजपा जहां इसका पॉलिटिकल माइलेज लेने में लगी है। वहीं कांग्रेस के सामने डैमेज कंट्रोल की बड़ी चुनौती है।

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