Gwalior Lok Sabha Chunav 2024 : ग्वालियर। क्या सिंधिया परिवार से छिटक रही ग्वालियर लोकसभा सीट? कभी महल के नाम पर लोकसभा चुनाव में वोट डाले डाले जाते थे। लेकिन अब ग्वालियर लोकसभा सीट, ग्वालियर के सिंधिया परिवार से दूर जा रही है। साल 2009 के बाद इस सीट पर सिंधिया पर कोई नही खड़ा हुआ है। हाल ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के यहां से लड़े जाने के कयास लगाए जा रहे थे। अब वो भी गुना चले गए है। ऐसे में राजनीतिक जानकर मानते है। स्वर्गीय माधव राव सिंधिया के कम अंतर से जीतने के बाद मोह भंग हुआ है।
Gwalior Lok Sabha Chunav 2024 : लोकसभा चुनाव के इतिहास में मध्यप्रदेश की ग्वालियर सीट का एक अलग ही वर्चस्व रहा है। इस सीट ने देश को अधिकांश बड़े नेता दिए हैं। फिर चाहे वो पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई हों या देश की राजनीति में अलग छाप छोड़ने वाली स्वर्गीय राजमाता सिंधिया। इस सबके बीच एक खास बात यह भी है कि इस सीट का इतिहास कहीं ना कहीं ग्वालियर की राजघराना सिंधिया परिवार के इर्द-गिर घूमता नजर आता है।
अब तक हुए लोकसभा चुनावों में से अधिकांश में इस सीट पर सिंधिया परिवार की दावेदारी देखी गई है। फिर चाहे वह उनके परिवारजनों के रूप में हो या फिर उनके समर्थकों के रूप में। इस सीट पर सिंधिया परिवार का वर्चस्व ही देखा गया है। इस कारण ग्वालियर लोकसभा सीट की जनता का भी सिंधिया परिवार को लेकर एक अलग ही रुझान है। प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि एक लंबे समय तक उन्होंने महल के नाम पर ही वोट दिए हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं उनका विश्वास इस सीट पर और सिंधिया परिवार पर जमा हुआ था।
1952 वीजी देशपांडे हिंदू महासभा, 1952 नारायण भास्कर खरे हिंदू महासभा, 1957 सूरज प्रसाद कांग्रेस, 1962 विजया राजे सिंधिया कांग्रेस, 1967 रामअवतार शर्मा जनसंघ, 1971 अटल बिहारी बाजपेयी जनसंघ, 1977 नारायण शेजवलकर जनता पार्टी, 1980 नारायण शेजवलकर जनता पार्टी, 1984 माधवराव सिंधिया कांग्रेस, 1996 माधवराव सिंधिया, मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस 1998 माधवराव सिंधिया, कांग्रेस 1999 जयभान सिंह पवैया बीजेपी, 2004 रामसेवक सिंह कांग्रेस, 2007 यशोधरा राजे सिंधिया बीजेपी, 2009 यशोधरा राजे सिंधिया बीजेपी, 2014 नरेंद्र सिंह तोमर बीजेपी, 2019 विवेक शेजवलकर बीजेपी…
हालांकि बीते कुछ दशकों में यह मैसेज अब टूटा हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि एक लंबे समय से सिंधिया परिवार के लोगों की पकड़ से यह सीट दूर है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि वह इस सीट से चुनाव लड़कर एक बार फिर महल के नाम इस सीट को करेंगे। लेकिन गुना से चुनाव होने की घोषणा के बाद लोगों की यह उम्मीद अभी टूट गई है। ग्वालियर लोकसभा सीट से भरत सिंह कुशवाहा को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। कुशवाहा को नरेंद्र सिंह तोमर का करीबी माना जाता है। राजनीतिक जानकारों निश्चित ही सिंधिया परिवार ने एक लंबा समय ग्वालियर की जनता के साथ गुजारा है। उनका तालमेल भी काफी अच्छा रहा है। हालांकि लोगों की सोच और विचारधारा अब बदल चुकी है। अब लोग विकास और प्रगति पर अपनी मोहर लगाते हैं।
सिंधिया परिवार हमेशा से ही एक विकास और दूरगामी सोच रखने वाला परिवार रहा है। ऐसे में लोगों ने उनकी इस सोच का लाभ भी एक लंबे समय तक उठाया है। ग्वालियर में मेट्रो जैसी रेल सुविधा सिंधिया स्टेट के टाइम पर हुआ करती थी। हांलकि अब धीरे-धीरे सिंधिया परिवार की ग्वालियर लोकसभा सीट से दूरी कई सवाल पैदा भी कर रही है।