मुरैना: Morena Lok Sabha Election देश में लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को खत्म हो चुका है। जिसके बाद 7 मई को तीसरे चरण का मतदान होने को है। बात करें मध्यप्रदेश की तो यहां तीसरे चरण में मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़ और बैतूल सीट पर चुनाव है। दो पूर्व सीएम, एक केंद्रीय मंत्री समेत कई दिग्गज मैदान में हैं। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सबसे विश्वसनीय न्यूज चैलन आईबीसी 24 चुनावी कार्यक्रम चुनावी चौपाल का आयोजन किया है।
Morena Lok Sabha Election इस चुनावी चौपाल के जरिए सांसदों के प्रदर्शन और क्षेत्र में हुए विकास कार्यों की बात को लेकर जनता के सामने रूबरू हुई है। आज हम मध्यप्रदेश के मुरैना लोकसभा सीट पर पहुंचे हुए हैं। हमारी टीम ने मुरैना लोकसभा सीट में जाकर वहां के विकास और सांसदों के प्रदर्शन और होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर जनता का मूड जानने की कोशिश कर रहे हैं।
बीजेपी ने इस बार मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह शिवमंगल सिंह तोमर को मैदान में उतारा है। आपको बता दें कि नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा का अध्यक्ष बना दिया गया है। जबकि कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकरवार को मैदान में उतारा है। बीएसपी ने भी इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा है। बीएसपी ने रमेश चंद गर्ग को मैदान में उतारा है।
मुरैना लोकसभा सीट में मुरैना और श्योपुर जिला आता है। चंबल नदी अपने तेज धार के साथ-साथ मरमच्छों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। इसलिए यहां पर राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी बनाई गई है जिसमें कई तरह के मगरमच्छ और घड़ियाल रहते हैं। पूरे देश में मगरमच्छ ज्यादातर यहीं से भेजे जाते है। ग्वालियर जिले से मुरैना करीब 46 किलोमीटर दूर है। इस लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभाएं आती हैं जिसमें श्योपुर जिले की श्योपुर और विजयपुर, और मुरैना जिले की सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमानी, अंबाह विधानसभाएं शामिल हैं।
मुरैना लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1952 आम चुनाव में वोट डाले गए थे। उस चुनाव में कांग्रेस के राधाचरण शर्मा ने जीत हासिल की थी। राधाचरण शर्मा ने साल 1957 आम चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे। लेकिन साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सूरज प्रसाद सांसद चुने गए। साल 1967 आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार आत्मदास ने जीत दर्ज की।
साल 1971 चुनाव में भारतीय जनसंघ के हुकुमचंद कछवाई सांसद चुने गए। आपातकाल के बाद साल 1977 आम चुनाव में छविराम अर्गल जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने। लेकिन साल 1980 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और बाबूलाल सोलंकी सांसद चुने गए। साल 1984 चुनाव में कांग्रेस के कम्मोदीलाल जाटव ने जीत हासिल की।
मुरैना लोकसभा सीट पर बीजेपी को पहली बार साल 1989 में जीत हासिल हुई। बीजेपी के छविराम अर्गल सांसद चुने गए। लेकिन साल 1981 आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बारेलाल जाटव सांसद चुने गए। साल 1996 आम चुनाव में बीजेपी के अशोक अर्गल सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने साल 1998, साल 1999 और साल 2004 चुनाव में फिर से सांसद चुने गए। साल 2009 आम चुनाव में बीजेपी ने नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। लेकिन 2014 आम चुनाव में पार्टी ने उम्मीदवार बदल दिया और अनूप मिश्रा सांसद चुने गए। साल 2019 आम चुनाव में फिर से नरेंद्र सिंह तोमर सांसद चुने गए।
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मुरैना लोकसभा सीट पर ब्राह्मण और राजपूत का दबदबा है। दोनों जातियों में सियासी लड़ाई रहती है। इस सीट पर सवर्ण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या करीब 2 लाख है। जबकि राजपूत वोटर्स की संख्या भी करीब 2 लाख है। इस सीट पर दलित वोटर्स 2.75 लाख हैं। जबकि वैश्य वोटर्स की संख्या सवा लाख है। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 80 से 90 हजार के आसपास है।
लोगों से हुई चर्चा में अपने सांसद और उनके कामकाज को लेकर आम लोगो की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही। यहां की जनता ने बताया कि यहां परिवर्तन बहुत जरूरी है। लंबे समय से यहां एक ही पार्टी है इस बार परिवर्तन की लहर है। वहीं दूसरी जनता का कहना है कि यहां रोजगार की समस्या बहुत है। वहीं जनता का कहना है कि यहां ग्रामीण क्षेत्र में विकास की काफी कमी है।