आंगनबाड़ियों के बच्चों में सीखने और खेलने की क्षमता को बढ़ावा देता है ‘बचपन का त्योहार’ कार्यक्रम

आंगनबाड़ियों के बच्चों में सीखने और खेलने की क्षमता को बढ़ावा देता है ‘बचपन का त्योहार’ कार्यक्रम

आंगनबाड़ियों के बच्चों में सीखने और खेलने की क्षमता को बढ़ावा देता है ‘बचपन का त्योहार’ कार्यक्रम
Modified Date: July 23, 2025 / 11:36 am IST
Published Date: July 23, 2025 11:36 am IST

भोपाल, 23 जुलाई (भाषा) भोपाल में हाल में एक विशेष कार्यक्रम ‘बचपन का त्योहार’ आयोजित किया गया जिसका उद्देश्य बच्चों को खेल के लिए प्रोत्साहित करना और आंगनबाड़ियों में बच्चों के लिए आनंददायक और सीखने का माहौल तैयार करना है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘की एजुकेशन फाउंडेशन’ (केईएफ) ने सोमवार को इस कार्यक्रम का आयोजन किया जिसका उद्देश्य तीन से छह वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आनंददायक शिक्षा सुनिश्चित करने में आंगनबाड़ियों की भूमिका पर प्रकाश डालना था।

महिला एवं बाल विकास विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव रश्मि अरुण शमी ने इस अवसर पर कहा, ‘‘सीखने का सबसे अच्छा तरीका खेल है जिससे बच्चों को पता भी नहीं चलता और नयी चीज सीख जाते हैं। जो कुछ वे खेल-खेल में सीखते हैं, वह उनके साथ लंबे समय तक रहता है। खासकर छोटे बच्चों के लिए यह बचपन का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका है और माता-पिता के जुड़ने का भी एक बेहतरीन जरिया है।’’

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अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारे आंगनबाड़ी केंद्र इस अनुभव को और भी बेहतर बना सकते हैं, ताकि हर बच्चा तरक्की कर सके और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सके।’’

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में मध्यप्रदेश के आकांक्षी जिले छतरपुर में बाल्यावस्था शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले हैं जो महिला एवं बाल विकास विभाग और ‘की एजुकेशन फाउंडेशन’ के संयुक्त प्रयासों से संभव हो पाया है।

इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय दलों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और जिला प्रमुख शामिल हुए। उन्होंने इस दौरान अपनी यात्रा और अनुभवों को साझा किया और बताया कि कैसे उन्होंने बच्चों की शिक्षा और विकास में योगदान दिया है।

एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘हम केवल बच्चों को पढ़ाने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि हम उनसे हर दिन सीखते भी हैं। यह मेरे केंद्र में आने वाले बच्चों, उनके माता-पिता, सरकारी विभाग और समुदाय के बीच एक मजबूत बंधन है।’’

भाषा दिमो खारी

खारी


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