लोकसभा अध्यक्ष ने विधानसभा बैठकों की संख्या घटने, विधायकों की कम उपस्थिति पर चिंता जतायी

लोकसभा अध्यक्ष ने विधानसभा बैठकों की संख्या घटने, विधायकों की कम उपस्थिति पर चिंता जतायी

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  • Publish Date - March 9, 2022 / 08:39 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:03 PM IST

भोपाल, नौ मार्च (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को वर्तमान में देश के विभिन्न राज्यों में विधानसभा की बैठकों की संख्या कम होने के साथ-साथ सदन की कार्यवाही में विधायकों की उपस्थिति में आ रही कमी पर चिंता जाहिर की।

उन्होंने राज्यों की विधानसभा की वर्ष में अधिक बैठक करने का अनुरोध किया और विधायकों को सदन की कार्यवाही में देर तक उपस्थित रहने की भी नसीहत दी।

मध्य प्रदेश विधानसभा परिसर में ‘संसदीय उत्कृष्टता पुरस्कार’ वितरण करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए बिरला ने कहा कि पहले विधानसभा की कार्यवाही में वरिष्ठ नेता भी सदन के शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक बैठते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आजकल सदस्यों की (सदन की कार्यवाही में) बैठने की संख्या कम हो रही है। यह भी हमारे लिए चिंता का विषय है। एक और चिंता का विषय है कि सत्रों के अंदर बैठकों की संख्या कम कर देना।’’

बिरला ने कहा कि कई विधानसभाएं तो ऐसी हैं जहां (एक साल में) 30 दिन भी विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलती। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘सदन में भी हम देश जनता के लिए और प्रदेश का विकास एवं कल्याण का काम करते हैं। इसलिए विधानसभा की बैठकें भी चले और और विधानसभा के सदस्य भी देर तक बैठें।’’

बिरला ने कहा कि यह वर्ष अमृत महोत्सव का है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमने 75 साल की लोकतंत्र की यात्रा के अंदर देश के लोकतंत्र को सशक्त और मजबूत किया है और जवाबदेह बनाया है।’’

उन्होंने कहा कि इस 75 साल की यात्रा के अंदर देश की जनता का लोकतंत्र पर विश्वास एवं भरोसा बढ़ा है। उस विश्वास को कायम करते हुए लोकतांत्रिक संस्थाओं को और जवाबदेह बनाने की जरूरत है, क्योंकि दुनिया के अंदर शासन चलाने की यह सबसे अच्छी पद्धति है।

उन्होंने कहा कि आज संविधान निर्माताओं को याद करते हुए यह कहा जा सकता है कि दुनिया के अंदर सबसे सशक्त और मजबूत लोकतंत्र भारत का है।’

बिरला ने कहा कि भारत के इस लोकतंत्र की विशेषता है कि 17 लोकसभा के और 300 से ज्यादा विधानसभा चुनाव हुए। जिस तरीके से सत्ता का सहज हस्तांतरण हुआ है, यह देश के लोकतंत्र का चरित्र है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश के अंदर बहुदलीय राजनीतिक व्यवस्था होने के कारण हर विचारधारा को समय-समय पर अपनी विचारधारओं के आधार पर देश की जनता ने सरकार चलाने का मौका दिया है।’’

सदन की कार्यवाही के दौरान मुद्दों पर चर्चा की बजाय सदस्यों द्वारा बेवजह शोर-शराबा एवं हंगामा किये जाने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ’’आज देश में सदनों की गरिमा, मर्यादा एवं शालीनता गिरती जा रही है। यह पूरे देश की चिंता है और सांसदों एवं विधायकों से अनुरोध किया कि वे सदनों की गिरती हुई मर्यादा और गरिमा को बनाये रखें।’’

भाषा रावत रावत माधव

माधव