मप्र: सरकार ने कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद औषधि नियंत्रक का तबादला किया, तीन अधिकारी निलंबित

मप्र: सरकार ने कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद औषधि नियंत्रक का तबादला किया, तीन अधिकारी निलंबित

मप्र: सरकार ने कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद औषधि नियंत्रक का तबादला किया, तीन अधिकारी निलंबित
Modified Date: October 6, 2025 / 09:23 pm IST
Published Date: October 6, 2025 9:23 pm IST

भोपाल, छह अक्टूबर (भाषा) मध्यप्रदेश सरकार ने ‘दूषित’ कफ सिरप पीने से छिंदवाड़ा के 14 बच्चों की गुर्दे की खराबी के कारण हुई मौत के मामले की जांच के बीच सोमवार को दो दवा निरीक्षकों और खाद्य एवं औषधि प्रशासन के एक उपनिदेशक को निलंबित कर दिया।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक उच्च स्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा करने के बाद राज्य के औषधि नियंत्रक दिनेश मौर्य का भी तबादला कर दिया।

निलंबित दवा निरिक्षकों की पहचान गौरव शर्मा और शरद कुमार जैन के रूप में हुई है, जो क्रमश: छिंदवाड़ा और जबलपुर में तैनात हैं।

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एक अधिकारी ने बताया कि निलंबित उपनिदेशक की पहचान शोभित कोस्टा के रूप में हुई है।

यादव ने बाद में परासिया का दौरा किया और मृतक बच्चों के परिजनों से मुलाकात की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों की दुखद मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यादव ने अधिकारियों को दुकानों से प्रतिबंधित ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप का स्टॉक जब्त करने और छिंदवाड़ा व आसपास के जिलों में इसे खरीदने वाले परिवारों से दवा की वसूली के लिए एक अभियान शुरू करने का निर्देश दिया।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से क्षेत्र में हाल ही में बेची गई अन्य दवाओं की जांच के भी निर्देश दिए।

पुलिस ने 14 बच्चों की मौत की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।

छिंदवाड़ा के डॉ. प्रवीण सोनी को कथित लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया है जबकि ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

सरकार ने कांचीपुरम (तमिलनाडु) के श्रीसन फार्मास्युटिकल द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अधिकारियों का कहना है कि दवा के नमूनों में अत्यधिक जहरीला पदार्थ पाया गया है।

मरने वाले बच्चों में से 11 परासिया उपमंडल से, दो छिंदवाड़ा शहर से और एक चौरई तहसील से हैं।

अधिकारियों के अनुसार, नागपुर में आठ बच्चों का इलाज हो रहा है, जिनमें से चार का एक सरकारी अस्पताल में, एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में और तीन निजी अस्पतालों में हैं।

उच्च स्तरीय बैठक के दौरान, यादव ने इस बात पर जोर दिया कि छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों में परिवारों के घरों से प्रतिबंधित सिरप की वसूली के अभियान में आशा और उषा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों का सहयोग लिया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सत्यापित करने के लिए एक अभियान शुरू किया जाना चाहिए कि दवाओं के लेबल पर आवश्यक चेतावनियां और सावधानियां ठीक से मुद्रित की जा रही हैं या नहीं।

अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने इन नियमों का पालन करने में विफल रहने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

यादव ने एक कानूनी प्रावधान का हवाला देते हुए कहा कि चार साल से कम उम्र के बच्चों को कॉम्बिनेशन दवाएं निर्धारित नहीं की जानी चाहिए और इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले चिकित्सकों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि इस तरह की घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स’ और ‘केमिस्ट एसोसिएशन’ सहित विभिन्न चिकित्सा संगठनों के सहयोग से आवश्यक सावधानी बरती जाए व जागरूकता फैलाई जाए।

अधिकारियों ने बताया कि यादव ने निर्देश दिया कि तमिलनाडु सरकार को घटनाक्रम के बारे में सूचित किया जाए ताकि ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप के निर्माता के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।

अधिकारियों के मुताबिक, छिंदवाड़ा में गंभीर मामलों की सूचना मिलने पर चिकित्सकों की एक टीम को जांच के लिए भेजा गया।

उन्होंने बताया कि आठ मरीजों के नमूने जांच के लिए पुणे की प्रयोगशाला में भेजे गए थे और इसके अतिरिक्त, छिंदवाड़ा से विभिन्न दवाओं के नमूने एकत्र किए गए व परीक्षण किए गए।

अधिकारियों ने बताया कि छिंदवाड़ा और परासिया में निजी चिकित्सकों, अस्पतालों और केमिस्टों के साथ बैठक की गई तथा स्थिति का आकलन किया गया व उन्हें आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह दी गई।

अन्य उपायों के अलावा, छिंदवाड़ा जिले में प्रभावित रोगियों की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण शुरू किया गया और जरूरतमंद लोगों को आगे के इलाज के लिए नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भेजा गया।

भाषा सं ब्रजेन्द्र जितेंद्र

जितेंद्र


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