राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का ‘दलाल’ बताने वाले मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री ने मांगी माफी

राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का 'दलाल' बताने वाले मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री ने मांगी माफी

राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का ‘दलाल’ बताने वाले मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री ने मांगी माफी
Modified Date: November 16, 2025 / 04:05 pm IST
Published Date: November 16, 2025 4:05 pm IST

शाजापुर (मध्यप्रदेश), 16 नवंबर (भाषा) देश के महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का ‘दलाल’ बताने वाले मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने रविवार को इस पर माफी मांग ली।

इस बयान को लेकर विवाद बढ़ने के बाद परमार ने जिले के शुजालपुर से एक वीडियो जारी कर अपनी टिप्पणी को गलत बताया और कहा कि यह गलती से उनके मुंह से निकल गया।

उन्होंने कहा, ‘राजा राममोहन राय एक समाज सुधारक थे और उनका सम्मान किया जाना चाहिए। मेरे मुंह से गलती से यह वाक्य निकल गया, जिसके लिए मुझे बहुत दुख है। मैं प्रायश्चित करता हूं।’

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परमार ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी भी ऐतिहासिक व्यक्तित्व का अपमान करना नहीं था।

मंत्री ने आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आगर मालवा में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में राजा राममोहन राय के खिलाफ यह विवादित टिप्पणी की थी।

परमार ने कहा था, ‘राजा राममोहन राय एक ब्रिटिश एजेंट थे। उन्होंने देश में उनके दलाल के रूप में काम किया। उन्होंने धर्मांतरण का एक दुष्चक्र शुरू किया था।”

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने कई लोगों को फर्जी समाज सुधारक के रूप में पेश किया और धर्मांतरण को बढ़ावा देने वालों को आगे रखा।

परमार ने कहा, ‘अगर किसी में इसे रोकने और आदिवासी समाज की रक्षा करने का साहस था, तो वह बिरसा मुंडा थे।’

उन्होंने दावा किया कि ब्रिटिश काल में मिशनरी स्कूल ही एकमात्र शैक्षणिक संस्थान थे और वे शिक्षा का इस्तेमाल धर्मांतरण के लिए एक आवरण के रूप में करते थे।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि बिरसा मुंडा ने इस चलन को पहचाना और अपने समुदाय के लिए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए मिशनरी शिक्षा छोड़ दी।

राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को बंगाल के राधानगर में एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

इतिहासकारों के मुताबिक राजा राममोहन राय आधुनिक भारत के पुनर्जागरण के जनक और एक अथक समाज सुधारक थे तथा उन्होंने भारत में ज्ञानोदय एवं उदार सुधारवादी आधुनिकीकरण के युग की शुरुआत की थी।

भाषा

सं, ब्रजेन्द्र रवि कांत


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