मप्र : कम कीमतों के कारण किसानों ने नदी में फेंकी लहसुन की फसल |

मप्र : कम कीमतों के कारण किसानों ने नदी में फेंकी लहसुन की फसल

मप्र : कम कीमतों के कारण किसानों ने नदी में फेंकी लहसुन की फसल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : August 18, 2022/10:25 pm IST

सीहोर, 18 अगस्त (भाषा) कम कीमतों के चलते मध्य प्रदेश में बृहस्पतिवार को किसानों द्वारा लहसुन से भरी बोरियों को नदी में फेंकने की घटना सामने आई है।

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में किसानों को लहसुन नदी में फेंकते देखा जा सकता है। वहीं, एक किसान संगठन ने सरकार से लहसुन के निर्यात की अनुमति देने की मांग की है।

मध्य प्रदेश में किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने कहा कि किसानों को लहसुन की फसल के लिए कम कीमत मिल रही है। किसानों ने मांग की कि बाजार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार इस उपज के निर्यात की अनुमति प्रदान करे।

प्रदेश के सीहोर और राजगढ़ जिलों की सीमा पर स्थित एक पुल से किसानों को पार्वती नदी में लहसुन की बोरियां फेंकते हुए एक वीडियो दिन में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।

किसान स्वराज संगठन (केएसएस) द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए वीडियो में एक किसान को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि कम कीमत होने के कारण वे लहसुन की फसल फेंक रहे हैं।

केएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि यह क्लिप सीहोर जिले के आष्टा कस्बे की है और वहां के एक कार्यकर्ता ने इसे भेजा है।

फूल मोगरा गांव के किसान जमशेद खान ने दावा किया, ‘‘व्यापारी एक से चार रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से लहसुन खरीद रहे हैं जबकि उत्पादन की लागत 30 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम है। हम भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं इसलिए अपनी उपज को फेंक रहे हैं।’’

केएसएस ने कहा कि एक क्विंटल (100 किलोग्राम) लहसुन की उत्पादन लागत 2500-3000 रुपए की बीच है जबकि इसके दाम सिर्फ 300 से 600 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहे हैं।

किसान नेता सूर्यपाल सिंह ठाकुर के नेतृत्व में किसानों ने धरना देकर जावर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संबोधित ज्ञापन में किसानों के हित में प्याज और लहसुन के निर्यात की तत्काल अनुमति देने की मांग की गई है।

ज्ञापन में कहा गया है कि एक क्विंटल प्याज की उत्पादन लागत दो हजार रुपए है जबकि बाजार में इसकी कीमत 500 से 800 रुपये के दायरे में है।

विरोध कर रहे किसानों ने कहा कि अगर इस मुद्दे का जल्द समाधान नहीं किया गया तो वे स्थानीय विधायकों और सांसदों के साथ-साथ विधानसभा के सामने भी आंदोलन करेंगे।

भाषा दिमो शफीक

शफीक

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)