मप्र उच्च न्यायालय ने पब में मारपीट के आरोपी युवक पर से रासुका हटाया, 10 हजार रुपये हर्जाने का आदेश |

मप्र उच्च न्यायालय ने पब में मारपीट के आरोपी युवक पर से रासुका हटाया, 10 हजार रुपये हर्जाने का आदेश

मप्र उच्च न्यायालय ने पब में मारपीट के आरोपी युवक पर से रासुका हटाया, 10 हजार रुपये हर्जाने का आदेश

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : July 1, 2022/4:08 pm IST

इंदौर, एक जुलाई (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इंदौर के एक पब में झगड़े और मारपीट के आरोपी 28 वर्षीय युवक के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने का आदेश रद्द कर दिया। हालांकि, आरोपी युवक की याचिका पर अदालत ने सरकार को 10 हजार रुपये हर्जाना चुकाने का आदेश दिया।

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति अमरनाथ केशरवानी ने रणवीर नेकिया (28) पर रासुका की दो महीने पुरानी कार्रवाई निरस्त करते हुए बृहस्पतिवार को यह आदेश दिया।

युगल पीठ ने कहा,’सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के मकसद से रासुका के तहत किसी व्यक्ति को तब जेल में बंद रखा जा सकता है, जब इस बात का अंदेशा हो कि खुला घूमने पर वह राष्ट्र की सुरक्षा को किसी तरह नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन इस मामले में याचिकाकर्ता पहले ही हिरासत में था और उसे (रासुका के तहत) जेल में बंद रखे जाने का आदेश केवल इस प्रबल आशंका पर जारी किया गया था कि जमानत पर छूटने के बाद वह दोबारा अपराध कर सकता है।’’

अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन के दो मई को जारी आदेश में नेकिया और पब विवाद के एक अन्य आरोपी इरफान अली (35) को रासुका के तहत जेल भेजने का आदेश दिया गया था।

उन्होंने बताया कि 23 साल की युवती ने तुकोगंज पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि 30 अप्रैल की देर रात पब में धक्का लगने की बात पर दोनों आरोपियों ने उसके और उसके कुछ दोस्तों के साथ गाली-गलौज और

मारपीट की तथा उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।

नेकिया के वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने बताया कि उनके मुवक्किल को पब के झगड़े से जुड़े मामले में गिरफ्तारी के बाद अदालत में पेश किए जाने पर जमानत पर रिहा कर दिया गया था, लेकिन इसके तुरंत बाद उसे पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिए की जाने एहतियातन गिरफ्तारी) के तहत जेल भेज दिया था।

श्रीवास्तव के मुताबिक जिला प्रशासन ने जब उनके मुवक्किल को रासुका के तहत जेल भेजने का आदेश दिया, तब वह पहले से जेल में बंद था।

अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन को नेकिया पर रासुका लगाने की सिफारिश करते वक्त पुलिस ने उसके खिलाफ इंदौर के अलग-अलग थानों में दर्ज चार आपराधिक प्रकरणों का हवाला दिया था, जिनमें एक महिला से छेड़छाड़ और आर्म्स एक्ट के मामले शामिल हैं।

भाषा हर्ष संतोष

संतोष

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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