स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अनुमति मिलने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ऐतिहासिक दिन |

स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अनुमति मिलने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ऐतिहासिक दिन

स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अनुमति मिलने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ऐतिहासिक दिन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : May 18, 2022/9:20 pm IST

भोपाल,18 मई (भाषा) मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को इसे राज्य के लिए ऐतिहासिक दिन बताया और दावा किया कि उनकी सरकार ने इस समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय किए।

विपक्षी कांग्रेस ने भी उच्चतम अदालत के फैसले की सराहना की, लेकिन कहा कि हमारी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किये गए ओबीसी आरक्षण का पूरा लाभ इस वर्ग को अभी भी नहीं मिलेगा, क्योंकि अदालत के निर्णय में यह उल्लेखित है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने बुधवार को मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षण की मंजूरी दे दी और एक सप्ताह के अंदर इस चुनाव की अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए हैं।

चौहान ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर मीडिया के प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुये कहा, ‘‘आज का दिन ऐतिहासिक दिन है। आज मुझे संतोष है कि उच्चतम न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने का फैसला दिया है। अब पूरे आनंद से ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव संपन्न होगा। उच्चतम न्यायलय को मैं प्रणाम करता हूं।’’

उन्होंने कहा कि हम ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव चाहते थे, लेकिन प्रकरण उच्चतम न्यायालय में गया। हमने ओबीसी आरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किया, कोई कसर नहीं छोड़ी।

चौहान ने कहा, ‘‘ट्रिपल टी टेस्ट के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया। आयोग ने पूरे प्रदेश का दौरा किया, तथ्य जुटाए, व्यापक सर्वे किया और उन तथ्यों और सर्वे के आधार पर जो रिपोर्ट आयी, वह उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत की गयी। उच्चतम न्यायालय द्वारा निकायवार रिपोर्ट मांगी गई, जिसे न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अंतत: सत्य की विजय हुई और यह फिर सिद्ध हुआ कि सत्य पराजित नहीं हो सकता।’’

उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा, ‘‘पूरा मध्यप्रदेश जानता है कि ओबीसी वर्ग को भ्रम में रखने और उन्हें आरक्षण नहीं देने के लिए कांग्रेस ने झूठ का सहारा लिया था। आज भाजपा सरकार के प्रयासों से आए अदालत के आदेश के बाद कांग्रेस का झूठ सार्वजनिक हुआ है। उच्चतम न्यायालय का फैसला भाजपा की सरकार और संगठन के संकल्प की जीत है।’’

वहीं, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम पहले दिन से ही कह रहे थे कि मध्यप्रदेश में बगैर ओबीसी आरक्षण के पंचायत व नगरीय निकाय के चुनाव नहीं होना चाहिये, सरकार इसको लेकर सभी आवश्यक कदम उठाये। उन्होंने कहा कि हमने ओबीसी आरक्षण को लेकर सदन में भी लड़ाई लड़ी थी और उसके बाद सदन में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव भी पारित हुआ था कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बगैर पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव नहीं होना चाहिये।

उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग से उनका जो हक छीना गया था, उसकी दोषी शिवराज सरकार थी।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार समय पर ट्रिपल टेस्ट की सम्पूर्ण प्रक्रियाओं का पालन कर देती, आधी-अधूरी रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं करती तो यह अप्रिय स्थिति कभी भी नहीं बनती, लेकिन शिवराज सरकार ओबीसी वर्ग का हक छिन जाने के बाद नींद से जागी।’’

कमलनाथ ने कहा, ‘‘आज उच्चतम न्यायालय ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मामले में राहत प्रदान करने का निर्णय दिया है, उसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन हमारी (पूर्ववर्ती) सरकार द्वारा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किये गए ओबीसी आरक्षण का पूरा लाभ ओबीसी वर्ग को अभी भी नहीं मिलेगा क्योंकि निर्णय में यह उल्लेखित है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि हमें ओबीसी वर्ग का भला करने की कोई उम्मीद शिवराज सरकार से नही थी इसलिए हमने तो पहले से ही यह निर्णय ले लिया है कि हम निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी वर्ग को देंगे और इस वर्ग को उनका पूरा अधिकार देंगे।

कमलनाथ ने कहा, ‘‘हम अपना वादा हर हाल में निभाएंगे। हमारा तो दृढ़ संकल्प है कि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का हक व अधिकार मिले, उसको हम हर हाल में पूरा करेंगे। यह निर्णय कांग्रेस के संघर्ष की व ओबीसी वर्ग की जीत है, जिसने ओबीसी विरोधी शिवराज सरकार को झुकने पर मजबूर किया।’’

भाषा रावत

रावत रंजन

रंजन

 

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