Mahashivratri Puja Vidhi/ Image Credit : Meta AI
नई दिल्ली: Mahashivratri Puja Vidhi: महाशिवरात्रि हिंदुओं के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। वैसे तो हर महीने महाशिवरात्रि आती है, लेकिन फाल्गुन महीने की महाशिवरात्रि का महत्व सबसे अधिक माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन महादेव के भक्त उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान पूजा करते हैं। वहीं महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। इस साल 26 फरवरी बुधवार को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाएगा। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अन्य जानकारियां देंगे।
Mahashivratri Puja Vidhi: शास्त्रों में बताया गया है कि, महाशिवरात्रि के दिन निशिता काल में पूजा करना सबसे ज्यादा कारगार साबित होता है। पंचांग के अनुसार इस बार निशिता काल 26 फरवरी की रात 12 बजकर 9 मिनट से लेकर 12 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इसका मतलब है कि, भक्तों को इस बार पूजा के लिए सिर्फ 50 मिनट का ही समय मिलेगा। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन रात्रिजागरण का विशेष महत्व है और रात्रि में चार पहर की पूजा करना भी बहुत शुभ होता है, जिसका शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है-
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय शाम 06 बजकर 19 मिनट से रात्रि 09 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय 09 बजकर 26 से फरवरी 27 को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 27 फरवरी को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 27 फरवरी सुबह 03 बजकर 41 मिनट से सुब 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.।महाशिवरात्रि की पूजा में लगती है ये सामग्री
Mahashivratri Puja Vidhi: महाशिवरात्रि की पूजा के लिए कई प्रकार की सामग्री लगती है। पूजा सामग्री में धूप, दीप, अक्षत, सफेद, घी, बेल, भांग, बेर, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, गंगा जल, कपूर, मलयागिरी, चंदन, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री,पंच मेवा, शक्कर, शहद, आम्र मंजरी, जौ की बालियां, वस्त्राभूषण, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, दही, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, तुलसी दल, मौली जनेऊ, पंच रस, इत्र, गंध रोली, कुशासन आदि शामिल है।
Mahashivratri Puja Vidhi: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद संकल्प ले और घर के पास किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ पूरे शिव परिवार का षोटशोपचार पूजन करें। सबसे पहले शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन इत्यादि चीजें चढ़ाएं और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करने के बाद पूजा संपन्न करें।
अगर आप घर पर ही पूजा करना चाहते हैं तो पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें। उसके बाद पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करे। इस दिन रात्रि जागरण और पूजन का विशेष महत्व है, इसलिए रात्रि पूजन से पहले स्नान अवश्य करें उसके बाद पुन: विधि-विधान से महादेव की पूजा करें।
ॐ ऊर्ध्व भू फट् । ॐ नमः शिवाय । ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय । ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा । ॐ इं क्षं मं औं अं । ॐ प्रौं ह्रीं ठः । ॐ नमो नीलकण्ठाय । ॐ पार्वतीपतये नमः । ॐ पशुपतये नम:।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्||