एक दशक बाद अदालत नाटकों के पूर्व-सेंसरशिप के खिलाफ अमोल पालेकर की याचिका पर सुनवाई करेगी
एक दशक बाद अदालत नाटकों के पूर्व-सेंसरशिप के खिलाफ अमोल पालेकर की याचिका पर सुनवाई करेगी
मुंबई, छह नवंबर (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अभिनेता अमोल पालेकर द्वारा दायर एक याचिका पर दिसंबर में सुनवाई करेगा, जिसमें कलात्मक स्वतंत्रता की सुरक्षा का अनुरोध किया गया है।
पालेकर ने याचिका में दावा किया है कि नाटकों की पटकथाओं की पूर्व-सेंसरशिप को अनिवार्य करना नियमों का उल्लंघन है। उनकी याचिका पर करीब एक दशक के बाद सुनवाई होगी।
पालेकर के वकील अनिल अंतुरकर ने न्यायमूर्ति रियाज चागला और न्यायमूर्ति फरहान दुबाश की पीठ से 2016 में दायर याचिका पर सुनवाई करने का आग्रह किया।
अंतुरकर ने अदालत से कहा कि याचिकाकर्ता (पालेकर) अब 85 वर्ष के हो चुके हैं और अपनी याचिका पर फैसला चाहते हैं, चाहे वह उनके पक्ष में आए या खिलाफ।
अदालत ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि वह पांच दिसंबर को याचिका पर सुनवाई करेगी।
अभिनेता के वकील ने कहा कि मुद्दा केवल यह है कि क्या बंबई पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत पुलिस को नाटकों के मंचन से पहले सेंसरशिप का अधिकार है।
अंतुरकर ने कहा, ‘‘हम अब ऐसे युग में हैं जहां ओटीटी पर शो और सीरीज़ पर कोई सेंसरशिप नहीं है।’’
सितंबर 2017 में उच्च न्यायालय ने पालेकर की याचिका स्वीकार कर ली थी, लेकिन तब से इस पर अंतिम सुनवाई नहीं हुई।
पालेकर ने अपनी याचिका में उन नियमों को चुनौती दी थी जो महाराष्ट्र राज्य प्रदर्शन जांच बोर्ड द्वारा नाटकों की पटकथाओं की पूर्व-सेंसरशिप को अनिवार्य बनाते हैं।
भाषा धीरज अविनाश
अविनाश

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