नवनीत राणा से जुड़े मामले पर बावनकुले का बयान भ्रामक: कांग्रेस

नवनीत राणा से जुड़े मामले पर बावनकुले का बयान भ्रामक: कांग्रेस

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  • Publish Date - March 28, 2024 / 09:55 PM IST,
    Updated On - March 28, 2024 / 09:55 PM IST

नागपुर, 28 मार्च (भाषा) कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग (ईसी) और उच्चतम न्यायालय को पत्र लिखकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले पर सांसद नवनीत राणा से जुड़ा भ्रामक बयान देने का आरोप लगाया।

पत्र में दावा किया गया कि यह बयान अदालत की अवमानना और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।

कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रवक्ता अतुल लोंढे ने एक वीडियो संदेश में आरोप लगाया कि बावनकुले ने दावा किया था कि उच्चतम न्यायालय ने राणा से संबंधित जाति वैधता प्रमाणपत्र मामले पर अपना फैसला सुनाया था।

राणा वर्तमान में अमरावती लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं और वह बुधवार देर रात अपने समर्थकों के साथ नागपुर में बावनकुले के आवास पर सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गई थीं।

भाजपा ने अमरावती सीट के लिए पार्टी उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा की और बावनकुले ने कहा कि वह चार अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेंगी।

लोंढे ने दावा किया कि बावनकुले का बयान भ्रामक है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने राणा के जाति प्रमाणपत्र मामले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं दिया है और मामला अभी भी विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि यह बयान अदालत की अवमानना और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बावनकुले के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है और उनके खिलाफ निर्वाचन आयोग और उच्चतम न्यायालय को लिखित शिकायत की है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मामले में अदालत में याचिका भी दायर करेगी।

राणा ने 2019 का लोकसभा चुनाव अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से अविभाजित शिवसेना के तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसुल के खिलाफ एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था। हालांकि जल्द ही उन पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र जमा करने के आरोप लगे।

बम्बई उच्च न्यायालय ने आठ जून, 2021 को कहा था कि राणा द्वारा दिया गया ‘मोची’ जाति प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था। इसने उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव