बंबई उच्च न्यायालय ने कदाचार के लिए निलंबित पीएचडी छात्र की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया

बंबई उच्च न्यायालय ने कदाचार के लिए निलंबित पीएचडी छात्र की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया

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  • Publish Date - May 21, 2024 / 03:44 PM IST,
    Updated On - May 21, 2024 / 03:44 PM IST

मुंबई, 21 मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टीआईएसएस) के शोध छात्र रामदास केएस की एक याचिका पर तत्काल सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है जिसे कथित कदाचार और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुदंरेशन की अवकाशकालीन पीठ ने रामदास की याचिका को उच्च न्यायालय का ग्रीष्मकालीन अवकाश समाप्त होने के बाद 18 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

पीठ ने कहा कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।

टीआईएसएस के स्कूल ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के पीएचडी छात्र रामदास ने इस महीने अदालत का रुख किया था और संस्थान द्वारा दो साल के लिए उसे निलंबित करने के 18 अप्रैल को जारी आदेश को चुनौती दी थी।

रामदास के वकील मिहिर देसाई ने मंगलवार को अदालत में कहा कि निलंबन आदेश के बाद रामदास की छात्रवृत्ति रोक दी गई है और उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

संस्थान ने अपने हलफनामे में कहा कि छात्र के पास वैकल्पिक तरीका उपलब्ध है और इसलिए उसकी याचिका विचारणीय नहीं है।

मामले में तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि पहले विचारणीयता के मुद्दे पर दलीलें सुननी होंगी।

संस्थान ने रामदास की याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए दावा किया कि उन्हें पहले कुलपति के समक्ष अपील करनी चाहिए थी और ऐसा किए बिना वह सीधे उच्च न्यायालय का रुख नहीं कर सकते।

रामदास पर जनवरी में केंद्र सरकार की कथित ‘छात्र विरोधी नीतियों’ के खिलाफ नयी दिल्ली में एक विरोध मार्च में भाग लेने का आरोप है।

भाषा वैभव अविनाश

अविनाश