केंद्र ने ‘वीबी-जी राम जी’ विधेयक के जरिए मनरेगा को व्यावहारिक रूप से समाप्त कर दिया: प्रशांत भूषण

केंद्र ने ‘वीबी-जी राम जी’ विधेयक के जरिए मनरेगा को व्यावहारिक रूप से समाप्त कर दिया: प्रशांत भूषण

केंद्र ने ‘वीबी-जी राम जी’ विधेयक के जरिए मनरेगा को व्यावहारिक रूप से समाप्त कर दिया: प्रशांत भूषण
Modified Date: December 21, 2025 / 03:03 pm IST
Published Date: December 21, 2025 3:03 pm IST

मुंबई, 21 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को विकसित भारत गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन (वीबी जी राम जी) विधेयक से बदलकर कर इसे ‘व्यवहारिक रूप से समाप्त’ कर दिया है।

वरिष्ठ वकील ने लातूर में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि न केवल नाम बदला गया बल्कि पूरी योजना में ही परिवर्तन कर दिया गया है।

जी राम जी विधेयक को संसद के हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र में विपक्ष के कड़े विरोध के बीच पारित किया गया था।

 ⁠

विपक्ष ने महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने और राज्यों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को लेकर कड़ा विरोध जताया था।

भूषण ने कहा, “मनरेगा एक अधिकार-आधारित योजना थी, जिसके तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को न्यूनतम मजदूरी पर कम से कम 100 दिनों तक काम करने का मौलिक अधिकार प्राप्त था और उसे सरकार से धनराशि मिलती थी। लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसे समाप्त कर दिया है। सरकार का कहना है कि अब यह बजट-आधारित होगी।”

उन्होंने कहा, “अब सरकार (केंद्र) का कहना है कि वे तय करेंगे कि वे कितना प्रतिशत देंगे और राज्य सरकार कितना देगी। इस प्रकार, उन्होंने प्रभावी रूप से योजना को समाप्त कर दिया है।”

वरिष्ठ अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि पहले भी सरकार ने इस पर कई तरह से प्रतिबंध लगाए थे।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया, “पश्चिम बंगाल की तरह, उन्होंने (केंद्र सरकार) कई वर्षों तक मनरेगा के लिए धन उपलब्ध नहीं कराया। इसलिए, वे इसे समाप्त करना चाहते थे, और अब कानूनी रूप से, उन्होंने इस योजना को समाप्त कर दिया है।”

भूषण ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (डीपीडीपी) और भारतीय न्याय संहिता के राजद्रोह प्रावधान पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कदमों के माध्यम से “कई प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं”।

उन्होंने कहा, “और वैसे भी, हम देख रहे हैं कि सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) या किसी न किसी तरह से फंसाया जा रहा है। वे (केंद्र सरकार) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समाप्त करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक वे पूरी तरह सफल नहीं हुए हैं।”

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन


लेखक के बारे में